पुराणों में अनेक कथाएं हैं जिनमें यह बताया गया है कि असुर बड़े तपस्वी होते हैं , वे कठोर तपस्या कर के ईश्वर से वरदान प्राप्त कर लेते हैं l तपस्या से शक्ति तो प्राप्त हो जाती है लेकिन असुर संवेदनहीन होते हैं इसलिए वे अपनी शक्ति का दुरूपयोग करते हैं l असुर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होता जिसके बड़े -बड़े सींग हों , डरावनी शक्ल हो l व्यक्ति में यदि दुर्गुण ज्यादा हैं , उसके कर्म दूसरों को कष्ट देने वाले हैं तो वह असुर है l पुराण में कथा है ---- भस्मासुर की l इसने कठिन तपस्या कर के शिवजी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रख दे , वह भस्म हो जाये l ऐसा वरदान पाकर वह अहंकार से मतवाला हो गया और प्रजा पर अत्याचार करने लगा l असुरता के राज्य की सबसे बुरी बात यह होती है कि वह असुर स्वयं तो प्रजा पर अत्याचार करता है , उसके राज्य में उसके आधीन जितने भी अधिकारी , कर्मचारी और राज्य के अन्य ताकतवर लोग होते है वे अपने -अपने तरीके से प्रजा का शोषण व अत्याचार करते हैं l प्रजा पर दोहरी मार हो जाती है l भस्मासुर के अत्याचार से दुःखी होकर प्रजा ने भगवान से प्रार्थना की कि इस अत्याचारी से हमारी रक्षा करो l क्योंकि कोई भी उसके विरुद्ध एक शब्द बोलता , , उसकी आज्ञानुसार नहीं चलता , वह उसके सिर पर हाथ रख देता और वह व्यक्ति भस्म हो जाता l अहंकार व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है , उसने सोचा कि वह क्यों न शिवजी को ही भस्म कर दे और पार्वती जी से विवाह कर ले l उसके चापलूसों ने भी उसे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया l अब क्या था , वह चला शिवजी के सिर पर हाथ रखकर उन्हें भस्म करने l शिवजी क्या करें , वरदान देकर वह बंधे थे l अपनी समाधि से उठकर भागे l आगे -आगे शिवजी और पीछे -पीछे भस्मासुर ! भागते -भागते वे विष्णु लोक पहुंचे और भगवान से कहा कि मुझसे वरदान पाकर यह तो मुझे ही भस्म करना चाहता है , अब आप ही कोई तरकीब निकालो , जिससे इस असुर से मुझे और इसकी प्रजा को छुटकारा मिले l विष्णु भगवान मोहिनी रूप बनाकर बैठ गए l जैसे ही भस्मासुर शिवजी का पीछा करते विष्णुलोक पहुंचा , वहां इस मोहिनी रूप को देखकर अपनी सुधबुध खो बैठा l अब शिव -पार्वती सबको भूलकर वह इस मोहिनी रूप पर बावला हो गया l मोहिनी बने विष्णु जी ने कहा ---मुझे पाना है तो मेरे साथ नृत्य करो जैसी मेरी मुद्रा हो वैसी ही तुम करो l नृत्य करते -करते विष्णु जी ने अपने सिर पर हाथ रखा l भस्मासुर तो मोहिनी रूप में खो चुका था , उसने भी अपने सिर पर हाथ रखा , और वह तत्काल ही भस्म हो गया l शक्ति के साथ सद्बुद्धि और संवेदना भी जरुरी है , अन्यथा वह उसे पाने वाले को भस्मासुर की तरह ही नष्ट कर देती है l
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