युग बदलते हैं , इसके साथ मनुष्य की प्रवृत्ति भी बदलती है , सोचने -विचारने का तरीका भी बदलता जाता है l कलियुग को कलियुग क्यों कहते हैं ? यदि हम इस उदाहरण से देखें तो उत्तर मिल जायेगा ------- त्रेतायुग में ---- सीता का अपहरण रावण कर रहा था l सीताजी की करुण पुकार जब जटायु ने सुनी तो वह उनकी रक्षा के लिए निकल पड़ा l कहाँ रावण जैसा शक्तिशाली राजा और कहाँ वृद्ध , शक्तिहीन गिद्ध जटायु ! किन्तु जटायु अपने को रोक नहीं सका और सीताजी की रक्षा के लिए अपने प्राण दे दिए l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --यदि हनुमान नहीं बन सकते तो गिद्ध और गिलहरी बन जाओ l भगवान राम वन चले गए थे इसलिए अपने पिता दशरथ का अंतिम संस्कार अपने हाथ से नहीं कर सके किन्तु जटायु की दाह -क्रिया अपने हाथ से की , जटायु को वह सम्मान और गति मिली जो दशरथ को भी नहीं मिली l वह जटायु आज भी इतिहास में अमर है l द्वापर युग में ---- द्रोपदी का चीर -हरण हो रहा था और सब वृद्ध धर्म और न्याय के ज्ञाता भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य , कृपाचार्य सब सिर झुकाए बैठे रहे l अपनी ही कुलवधू के साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध कोई एक शब्द भी नहीं बोला l हस्तिनापुर के वृद्ध एक गिद्ध की गरिमा को भी नहीं पहुँच सके l अत्याचार , अन्याय तो हर युग में रहा है लेकिन कलियुग में ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार , लालच , छल कपट , षड्यंत्र आदि दुष्प्रवृत्तियाँ मनुष्य पर इतनी हावी हो गईं है कि मनुष्य के ह्रदय की करुणा , संवेदना बिलकुल समाप्त हो गई है l अब किसी की रक्षा करना तो बहुत दूर की बात है , वीडियो बनाना , ब्लैकमेल करना , समाज के सामने शरीफ बनकर अपनी काली -करतूतों को छिपाना ---- आदि ऐसे तथ्य हैं जो इस बात को बताते हैं कि इस युग में चरित्र और नैतिकता का स्तर बहुत गिर गया है l समाज को दिशा देने के लिए जिन अनुभवी लोगों की आवश्यकता है , उनकी इच्छाएं , लालसाएं किसी तरह समाप्त ही नहीं होतीं l सच्चाई को अपमानित किया जाता है और अपराधी समाज में सम्मान पाते हैं l एक वाक्य में यदि कहा जाए तो --- धन , बुद्धि , शक्ति का दुरूपयोग होने के कारण ही यह युग कलियुग है l एक ऐसा युग जिसमें सुख -शांति हो , लोगों में तनाव न हों , अस्पताल बीमारों से भरे न हों , छीना -झपटी न हो ------ यह सब तभी संभव होगा जब धन के स्थान पर व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होगी l कामना , वासना , लालच , महत्वाकांक्षा ही व्यक्ति को जीवन में और जीवन के बाद भी भटकाते हैं और युग को कलियुग बनाते हैं l
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