बगदाद के संत जुन्नैद अपने एक शिष्य को औरों से अधिक प्यार करते थे | शिष्यों ने शिकायत की कि एक के साथ पक्षपात क्यों ? " संत चुप हो गये | कुछ दिन बाद उनने सभी शिष्यों को बुलाया और एक कीड़ा हाथ में थमाते हुए कहा -- " किसी ऐसे स्थान पर इसे मार देना जहाँ कोई न देखता हो | " पांच शिष्य तो ये काम कर आये , पर वह प्रिय शिष्य उस जीव को ज्यों का त्यों वापस ले आया और बोला -- " ऐसी कोई जगह नहीं , जहाँ अल्लाह न देखता हो | "
जुन्नैद ने कहा -- " तुम सभी में एक यही है , जो ईमान और अल्लाह को पहचानता है | ऐसे ही मेरे शिष्यों पर खुदा की रहमत बरसती है | "
ईश्वर विश्वासी से कभी पापकर्म हो ही नहीं सकता |
जुन्नैद ने कहा -- " तुम सभी में एक यही है , जो ईमान और अल्लाह को पहचानता है | ऐसे ही मेरे शिष्यों पर खुदा की रहमत बरसती है | "
ईश्वर विश्वासी से कभी पापकर्म हो ही नहीं सकता |
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