' शिव को पशुपति कहा गया है | पशुत्व की परिधि में आने वाली दुर्भावनाओं और दुष्प्रवृतियों का नियंत्रण करना पशुपति का काम है | नर-पशु के रूप में रह रहा जीव जब कल्याणकर्ता शिव की शरण में जाता है तो सहज ही पशुता का निराकरण हो जाता है और क्रमश: मनुष्यत्व और देवत्व विकसित होने लगता है | शिव कल्याण के देवता हैं | '
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