राजा कौणिक अपने पड़ोसी राज्य वज्जीगण पर विजय प्राप्त करना चाहता था , परन्तु वह राज्य अत्यंत शक्तिशाली था l कौणिक ने अपने महामंत्री से परामर्श लिया कि पड़ोसी राज्य पर युद्ध द्वारा विजय पाना संभव नहीं है l क्या किया जाये ? महामंत्री ने राजा को एक योजना बताई , जिसे राजा ने स्वीकार कर लिया l
योजनानुसार घोषणा कर दी गई कि कौणिक ने नाराज होकर महामंत्री को देश निकाला दे दिया है l घोषणा के बाद महामंत्री शरणागत होकर पड़ोसी राजा के यहाँ पहुंचा l राजा ने उसे शरण दे दी l
वहां रहकर महामंत्री ने प्रशासन के सभी अधिकारियों के मध्य मनमुटाव पैदा करना शुरू कर दिया l जब उसका मनोरथ सिद्ध हो गया तो उसने राजा कौणिक को सूचना भिजवा दी l राजा कौणिक सेना लेकर आक्रमण के लिए पहुंचा l आक्रमण की सूचना की रणभेरी बजने पर भी इस राज्य से कोई लड़ने नहीं पहुंचा l अपनी हार सामने देखकर राजा ने अपने योद्धाओं को बुलाकर इसका कारण पूछा तो वे सब बोले --- " राजन ! अमुक सेनापति मुझे शक्तिहीन बता रहा है , वह अधिकारी मेरी प्रगति से जलता है l " राजा को अब समझ में आया कि उसकी सेना में एक दूसरे के प्रति जो संदेह और अविश्वास उभरा है उसके पीछे राजा कौणिक के मंत्री की कूटनीति जिम्मेदार है l जो कार्य सेना न कर सकी उसे आपस के मनमुटाव ने कर दिया l
योजनानुसार घोषणा कर दी गई कि कौणिक ने नाराज होकर महामंत्री को देश निकाला दे दिया है l घोषणा के बाद महामंत्री शरणागत होकर पड़ोसी राजा के यहाँ पहुंचा l राजा ने उसे शरण दे दी l
वहां रहकर महामंत्री ने प्रशासन के सभी अधिकारियों के मध्य मनमुटाव पैदा करना शुरू कर दिया l जब उसका मनोरथ सिद्ध हो गया तो उसने राजा कौणिक को सूचना भिजवा दी l राजा कौणिक सेना लेकर आक्रमण के लिए पहुंचा l आक्रमण की सूचना की रणभेरी बजने पर भी इस राज्य से कोई लड़ने नहीं पहुंचा l अपनी हार सामने देखकर राजा ने अपने योद्धाओं को बुलाकर इसका कारण पूछा तो वे सब बोले --- " राजन ! अमुक सेनापति मुझे शक्तिहीन बता रहा है , वह अधिकारी मेरी प्रगति से जलता है l " राजा को अब समझ में आया कि उसकी सेना में एक दूसरे के प्रति जो संदेह और अविश्वास उभरा है उसके पीछे राजा कौणिक के मंत्री की कूटनीति जिम्मेदार है l जो कार्य सेना न कर सकी उसे आपस के मनमुटाव ने कर दिया l
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