हमारा शरीर व मन --- हम जो भोजन करते हैं , जहाँ का पानी पीते हैं , जिस वायुमंडल में रहते हैं , जिस मिटटी में रहते हैं उससे प्रभावित होता है l यदि हमने किसी ऐसे व्यक्ति के यहाँ भोजन किया जो राक्षसी प्रवृति का है या पाप की कमाई का अन्न ग्रहण किया है तो हमारी प्रवृतियाँ भी कुत्सित हो जाएँगी l इसी तरह आसपास का वातावरण भी हमारे मन को प्रभावित करता है l
वाल्मीकि रामायण में प्रसंग है कि रावण के यहाँ रहने पर भी सीताजी अपवित्र नहीं होंगी l यह कैसी महिमा है ? रावण के यहाँ सीता जी ने एक वर्ष तक भोजन नहीं किया l जब रावण के यहाँ सीता जी गईं , तो महर्षि अगस्त्य और महर्षि अत्रि की प्रेरणा से देवराज इंद्र पहुंचे और माता सीता को खीर खिलाई , और उस खीर के प्रभाव से माता सीता को भूख ही नहीं लगी और न शरीर में कोई कमी महसूस हुई l माता अनसूया ने उन्हें दिव्य वस्त्र और आभूषण दिए , इससे उनको कोई वस्त्र परिवर्तन की आवश्यकता नहीं हुई , वो स्वत: ही रोज स्वच्छ हो जाते हैं , ते नित नूतन -- रोज नए , रोज साफ l
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