असुर कठोर तप कर के अपनी मृत्यु को असंभव बना देने वाले वरदान मांगते हैं l ये इन्हे मिल भी जाते हैं l फिर सही समय पर , सही`` स्था`न में उनकी मृत्यु --- उन्ही के बताए रास्ते के अनुसार उन्हें खोज लेती है l उनके वरदान के अनुसार ही प्रकृति उनकी मृत्यु का स्वरुप व स्थान तय करती है l मृत्यु से बचने का कोई प्रयास उनके काम नहीं आता l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' जब किसी स्थान में कोई किसी कर्म को संपन्न करता है तो तत्काल प्रकृति इसके परिणाम देने की व्यवस्था करने लगती है l परिणाम का स्थान व समय काल निश्चित करता है l शुभ कर्म नियत स्थान और निश्चित समय पर शुभ फल देता है और अशुभ कर्म अशुभ फल देता है l
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