पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " मनुष्य का जीवन एक खेत है , जिसमे कर्म बोये जाते हैं और उन्ही के अच्छे - बुरे फल काटे जाते हैं l जो अच्छे कर्म करता है वह अच्छे फल पाता है , बुरे कर्म करने वाला , बुराई ही समेटता है l " वे अपने चिंतन में एक प्रचलित कहावत कहते हैं ---- " आम बोने वाला आम खायेगा , जो बबूल बोयेगा , वह हमेशा कांटे ही पायेगा l " बबूल बोकर आम प्राप्त करना जिस तरह प्रकृति का सत्य नहीं है , उसी प्रकार बुराई के बीज बोकर अच्छाई पा लेना संभव नहीं है l कर्मफल का यह विधान अकाट्य व निरंतर है l जन्म व जीवन के साथ यह सतत प्रवाहमान रहता है l कर्म करने के लिए मनुष्य स्वतंत्र है किन्तु उसका फल कब और कैसे मिलेगा यह काल तय करता है l हमारे मन के तार ईश्वर से जुड़े हैं ,केवल कर्म ही नहीं , हम जो कुछ विचार करते हैं , कोई कार्य करते वक्त हमारी भावना क्या है , उसकी , हर पल की खबर ईश्वर को होती है l कर्म के फल से कोई नहीं बच सकता l
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