मनुष्य की मुसीबतों का सबसे बड़ा कारण है कि आज मनुष्य नास्तिक हो गया है l विज्ञानं ने जो प्रगति की है उसका अहंकार मनुष्य को हो गया है और वह स्वयं को भगवान समझने लगा है l यही कारण है आज समाज में तनाव , आत्महत्या , आतंक , अपराध , अकाल मृत्यु , बीमारी , महामारी , आपदाएं बढ़ गई हैं l ' भगवान ' का अर्थ है ---- सद्गुणों का सम्मुच्य ' l लेकिन वैज्ञानिक आविष्कार यदि मानव समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं , तो हमें यह समझना होगा कि हम अब भगवान किसे माने क्योंकि ईश्वर की प्रत्येक देन पवित्र है l ईश्वर ने हमें शुद्ध हवा दी है यदि हम उसे न लेकर मानव निर्मित किसी डिब्बे से हवा लेंगे तो यह हमारा कुसूर है l माँ , चाहे वह इनसान हो या पशु - पक्षी , जब वह बच्चे को अपना दूध जो ईश्वरीय देन है , पिलाती है तभी बच्चा स्वस्थ रहता है l यदि मानव निर्मित डिब्बे का दूध पिलायेंगे तो बच्चा उतना स्वस्थ नहीं होगा l ईश्वर की यह देन कितनी आश्चर्यजनक है कि एक से एक गरीब , भूखी - प्यासी रहने वाली माताओं के स्तन में बच्चे को पिलाने के लिए दूध आ जाता है लेकिन अनेक ऐसी माताएं भी हैं जो बहुत अमीर हैं , खाने - पीने की कोई कमी नहीं है , वे ईश्वर की इस देन से वंचित रह जाती हैं फिर उन्हें अन्य उपायों का सहारा लेना पड़ता है l संसार में आज जितनी समस्याएं हैं उसका कारण अमीरों की तृष्णा है जो कभी पूरी नहीं होती --- नशा बेचने वाला चाहेगा कि उसका ज्यादा से ज्यादा माल बिक जाये जिससे उसकी अमीरी बढ़ जाए , हथियार का व्यापारी चाहेगा कि खूब दंगे - फसाद हो , युद्ध का खतरा रहे ताकि माल बिके , दवा विक्रेता चाहेगा अधिक से अधिक लोग बीमार पड़ें ताकि दवाई बिकेँ , फिल्म वाले चाहेंगे कि कितने अपराध के और अश्लील दृश्य डालें कि करोड़ों की आमदनी हो जाये , रासायनिक खाद वाले चाहेंगे कि चाहे लोगों का शरीर जहरीला हो जाये उनकी खाद और कीटनाशक बिक जाएँ l यह सब इसलिए है क्योंकि आम जनता जागरूक नहीं है और चतुर लोग मनुष्य की कमजोरी का फायदा उठाना जानते हैं l सुख - शांति से जीवन जीने का एक ही रास्ता है कि हम ईश्वरविश्वासी ( आत्मविश्वासी ) बनें और सद्बुद्धि की प्रार्थना करें l
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एक गाँव की कहानी है --- वहां एक सूदखोर जो लोगों को धन उधार देता रहता था l वह चाहता बहुत धनवान हो जाये जिससे बहुत बड़े क्षेत्र में धन उधार दे सके और उसका ब्याज इतना अधिक आए कि वह उससे फिर और उधार दे l इस क्षेत्र में उसका खूब नाम हो l वह चाहता था कि कोई ऐसा तरीका हो जिससे वह शीघ्र धनवान हो जाये l इसके लिए उसने बहुत साहित्य का , धर्मग्रंथों का अध्ययन किया l वह मनुष्य की कोई ऐसी कमजोरी जानना चाहता था जो सम्पूर्ण मानव समाज की हो l बहुत अध्ययन के बाद समझ में आया कि प्रत्येक मनुष्य चाहे वह अमीर हो या गरीब , ऊंच हो या नीच , सब जीना चाहते हैं l बहुत बड़ी आयु तक भी सुख -भोग भोगना चाहते हैं l अब उसे रास्ता मिल गया l उसने साधु का वेश धरा और अपने अनेक चतुर साथियों को गाँव - गाँव में भेजा l उन्होंने प्रचार - प्रसार किया कि हमारे साधु बाबा के पास ' अक्षय पात्र ' है उसमे से उनके दिए जल को पीने से व्यक्ति की आयु सौ वर्ष और बढ़ जाएगी तथा वह स्वस्थ होकर दीर्घ अवधि तक आनंद से रहेगा l अब उसके दरवाजे पर भीड़ लगने लगी l उस सूदखोर साधु के साथ एक छोटा लड़का था , वह लोगों के सामने उस छोटे लड़के के हाथ , गर्दन या माथे पर एक कीप लगाकर कुछ बुदबुदाता तो कीप में पता नहीं कहाँ से पानी गिरने लगता जिसे वह अक्षय पात्र में रखता और इच्छुक लोगों को पिलाता l अब क्या था धंधा चल निकला l वह कहता ---सौ वर्ष आयु में वृद्धि करनी है तो कुछ कष्ट तो सहन करना ही पड़ेगा , इसके लिए वह तरह - तरह की दवाइयां देता l वह धनवान होता गया और लोग बीमार , बुझे हुए चेहरे और अमानवीय लक्षणों से ग्रस्त होने लगे l अपनी अज्ञानता के कारण और दवाइयां उससे लेते और अपने शरीर को गलाकर उस सूदखोर को और अमीर बनाने में अपना भरपूर योगदान देते l उसी गाँव का एक नवयुवक जो अध्ययन के लिए दूर किसी नगर में गया था , जब लौटा तो उसने देखा चारों ओर मौत का सन्नाटा है , खुशियां जैसे ख़त्म हो गईं , लोगों के चेहरे अजीब से हो गए l लोगों से पूछा तो उन अज्ञानी लोगों ने उस बाबा की बहुत तारीफ की कि वह हमें दवाई भी देता है , धन उधार भी देता है , इस गाँव पर कोई प्रकोप हो गया
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