18 April 2021

WISDOM ------- मन से दुर्भावनाएं दूर न हुईं तो फिर गंगा स्नान किस काम का ?

     कबीर दास  जी  के  जीवन  का  प्रसंग  है  ---- प्रात:  का  समय  था  l  भक्त  लोग  स्नान  कर  रहे  थे  l   कुछ  ब्राह्मण  भी  गंगा  स्नान  करने  आए  l   पानी  काफी  गहरा   था इसलिए  घुसकर  स्नान  करने  का  साहस  नहीं  हो  रहा  था   l   एक  किनारे  पर  संत  कबीर  स्नान  कर  रहे  थे  l    उन्होंने  देखा  तो  अपना  लोटा  मांज - धोकर   एक  व्यक्ति  को  दिया   और  कहा  कि   जाओ , ब्राह्मणों  को  दे  आओ   ताकि  वे  भी  सुविधा  से  स्नान  कर  सकें   l   कबीर  का  लोटा  देखकर   ब्राह्मण  चिल्ला  उठे  --- " अरे  !  जुलाहे  के  लोटे  को  दूर  रखो   l  "  कबीर  बोले  --- " इस  लोटे  को  कई  बार  मांजा   और  गंगाजल  से  धोया   फिर  भी  पवित्र  नहीं  हुआ  ,  तो  यह  मानव  शरीर   जो  दुर्भावनाओं  से  भरा  है  ,  गंगाजी  में  स्नान  करने  से  कैसे  पवित्र  होगा   ? "  कबीर  के  ये  शब्द  सुनकर   ब्राह्मण  बड़े  लज्जित  हुए    और  एक  दूसरे  का  मुंह  ताकने  लगे   l  

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