25 February 2022

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " शक्तिसम्पन्न ,  समर्थ - बलशाली  होने  से  अधिक   महत्वपूर्ण है   सद्गुण संपन्न  होना  ,  क्योंकि  सद्गुणों  के  अभाव   में  शक्ति  के  दुरूपयोग  की  संभावना   हमेशा  बनी    रहती  है   l   गुणहीन  व्यक्तियों  के  पास  जो  भी  शक्ति  आती  है  ,  वो  हमेशा  उसका  दुरूपयोग  करते  हैं  ,  फिर  यह  शक्ति   चाहे  सामाजिक  हो ,  राजनीतिक   हो  या  फिर  वैज्ञानिक  अथवा  आध्यात्मिक   l  "  भौतिक  विज्ञान   में  मनुष्य  ने  बहुत  प्रगति  की  है   लेकिन  यदि  यह  शक्ति  किसी   गुणहीन  , संवेदनहीन  व्यक्ति  के  हाथ  में  आ  जाये  तो  वह   पूरी दुनिया  को  कब्रिस्तान   बना  सकता  है   l   रावण  कितना  विद्वान्   और  शक्तिसम्पन्न  था   लेकिन  अपने  अहंकार  के  वशीभूत  होकर  उन  शक्तियों  का  दुरूपयोग  करता  था   और  स्वयं  को  गर्व  से   असुरराज  कहा  करता  था  l  रावण  एक  विचार  है   ,  जब   धन - वैभव  और  शक्ति  के  मद  में    लोगों  की  बुद्धि  दुर्बुद्धि  में  बदल  जाती  है  ,  उन्हें  करने  के  लिए  कोई  सकारात्मक  कार्य  नजर  ही  नहीं  आता    तब  वे   मानवता  को  कष्ट  पहुँचाने  वाले ,  प्रकृति  और  पर्यावरण  को  नष्ट  करने  वाले  कार्य  कर  के  ही  अपने  जीवन  को  धन्य  समझते  हैं   l   ईश्वर  ने  प्राणीमात्र   के  लिए  अनेक  योनियां  निश्चित  की  हैं  ,  अब  चयन  करना  व्यक्ति  के  हाथ  में  है   ,  मनुष्य  ही  अपने  कर्मों  द्वारा   अपने लिए  चयन करता  है  कि   उसे  मनुष्य  बनना  है ,  पशु - पक्षी ,  कीट -पतंगे  अथवा  पिशाच   l 

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