इस संसार में अहंकार , महत्वाकांक्षा , हुकूमत आदि अनेक कारणों से युद्ध होते रहे हैं l यह सब कारण बड़े स्पष्ट हैं l लेकिन इसे कलियुग का असर कहें या सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषण है जिसके कारण लोगों की मानसिकता विकृत हो गई है , धन- संपदा का लालच बहुत बढ़ गया है और इसे पाने के लिए व्यक्ति किसी भी स्तर तक गिर सकता है l '' एक तीर से दो शिकार " की मानसिकता है l जब मानसिकता विकृत हो तो वह किसी की सुख - शांति , उनका वैभव नहीं देख सकती l परिवार केवल अपनी ही गलतियों से नहीं टूटते l विकृत मानसिकता के अनेक लोग इसी कार्य में व्यस्त रहते हैं कि परदे की आड़ में रहकर कैसे किसी के परिवार को नष्ट कर दें l देखने में ऐसा प्रतीत हो कि पारिवारिक तनाव की वजह से , या किसी दुर्घटना आदि किसी भी वजह से वह परिवार बिखर गया फिर झूठी सहानुभूति रखने वालों को बड़ी आसानी से उनकी सम्पति पर कब्ज़ा करने का सुनहरा अवसर मिल जाए l इसमें गिद्ध प्रवृति भी होती है , आखिर मदद करने वालों का भी हिस्सा देना पड़ेगा l कलियुग का असर समूची धरती पर एक जैसा होता है , बड़े स्तर पर देखें तो एक पर्दा वहां भी है ,' एक तीर से दो शिकार ' वहां भी है l धर्म और अधर्म की तो कोई लड़ाई है नहीं l मानव जीवन की कोई कीमत नहीं है केवल लोभ - लालच है , जितने ज्यादा हथियार आदि बिकेंगे उतना ही फायदा होगा l पहले महामारी आदि की घोषणा नहीं होती थी कि अब हैजा आ रहा है , अब मलेरिया , अब टाइफाइड आ रहा है , ----- विज्ञानं का अब चमत्कार है , बीमारी परेशानी किसकी और धनपति कौन ? दोष किसी एक का नहीं है , जब संसार ऐसे अंधकार में आ जाता है कि उत्पीड़ित करने वाला और उत्पीड़ित होने वाला सभी तनाव में हों तब कुछ ऐसा अवश्य होता है कि संसार को समझ में आ जाये कि ईश्वर है , उसके यहाँ देर है , अंधेर नहीं l
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