यूनान का एक वृद्ध दार्शनिक अपने मित्र से बोला ----- "मैंने लोगों को सच्चाई और सदाचार की शिक्षा देने की योजना बनाई है l विद्यालय के लिए स्थान भी चुन लिया है , पर विद्या अध्ययन के लिए विद्यार्थी नहीं मिलते l मित्र व्यंग्य करते हुए बोले ---- " तो आप कुछ भेड़ें खरीद लीजिए और अपना पाठ उन्हें ही पढ़ाया करें l तुम्हारी इस योजना के लिए आदमी मिलने मुश्किल हैं l " हुआ भी कुछ ऐसा ही , कुल दो युवक आए l जिन्हे घरवाले आधा पागल समझते थे और मुहल्ले वाले सिरदर्द l वृद्ध ने उन्ही को पढ़ाना शुरू किया l दूसरे लोग कहा करते थे --- बुड्ढे ने मन बहलाने का अच्छा साधन ढूंढा l किन्तु यही दोनों इस बूढ़े विचारक से शिक्षा प्राप्त कर के जब पहली बार घर लौटे तो उनके रहन - सहन , बोलचाल , अदब - व्यवहार ने लोगों का हृदय मोह लिया l फिर तो जो विद्यार्थियों की संख्या बढ़नी शुरू हुई कि विद्यालय पूरा विश्वविद्यालय बन गया l पहले के दोनों छात्रों में एक यूनान का प्रधान सेनापति और दूसरा मुख्य सचिव नियुक्त हुआ l ये वृद्ध सुविख्यात दार्शनिक जीनों थे और उनकी पाठशाला ने ' जीनों की पाठशाला ' के नाम से विश्व -ख्याति अर्जित की l
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