लघु -कथा ----- एक जमींदार का घोड़ा बूढ़ा हो गया l एक दिन वह घास चरता हुआ दूर निकल गया और एक कुएं में जा गिरा l कुआं सूखा था , घोड़ा उसमे से बाहर निकलने का प्रयत्न करने लगा , लेकिन बाहर न निकल सका l जमींदार को पता चला तो वह उसे देखने कुएं पर गया l वहां उसने सोचा कि उस बूढ़े घोड़े को निकालने से क्या फायदा ? उसने उसे कुएं में ही दफ़नाने के लिए मजदूरों को बुलाया और उन्हें कहा कि वे घोड़े के ऊपर मिटटी डालकर उसे वहीँ मरने के लिए छोड़ दें l घोड़ा बहुत चतुर था , वह मालिक की मंशा समझ गया और उसने बचने की तरकीब ढूंढ ली l जब भी उस पर मिटटी पड़ती , वह उछल पड़ता l मिटटी उसके नीचे पहुँच जाती और वह मिटटी के ऊपर l उस पर मिटटी पड़ती रही और वह उछलकर ऊपर आता रहा l अंतत: कुआं मिटटी से भर गया और घोड़ा कुएं से बाहर निकल गया l इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों , हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए , अपना कर्तव्य करते हुए निरंतर उस प्रतिकूलता से बाहर निकलने का सही दिशा में प्रयास करते रहना चाहिए l सफलता अवश्य मिलेगी , हर समस्या का समाधान होता है l
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