अनमोल मोती ----- ' एक भेड़िये के गले में हडडी अटक गई l वह सियार के पास पहुंचा और बोला ---- --- " आपकी लम्बी थूथनी है l कृपा कर के मेरे गले में उसे डालकर हडडी निकाल दीजिए l वक्त आने पर मैं तुम्हारे काम आऊंगा l " सियार ने वह हडडी निकाल दी l एक दिन सियार को भेड़िये की सहायता की आवश्यकता पड़ी l उसने पिछला अहसान याद दिलाया l भेड़िये ने कहा --- " मेरा यह अहसान क्या कम है , जो मुँह के अन्दर पहुंची हुई तुम्हारी गर्दन बख्श दी l " इस कथा से हमें यही शिक्षा मिलती है कि दुष्ट व्यक्ति के साथ कभी कोई सरोकार न रखे l यदि जाने - अनजाने उनसे कभी कोई सरोकार हो भी जाता है तो उनसे प्रत्युपकार की आशा कभी न करे l
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