राजा भीमदेव गुजरात की एक रियासत के शासक थे l भीमदेव का पुत्र मूलराज प्रतिभाशाली होने के साथ -साथ दयालु प्रवृत्ति का भी था l एक बार राज्य में वर्षा न होने से किसानों के खेत सुख गए , इसलिए वे राजकोष में लगान जमा नहीं कर पाए l बदले में राजा के कर्मचारी गांवों में पहुंचे और किसानों के घरों से उनका सामान उठा लाये l किसी दुःखी किसान से जब मूलराज को यह पता चला तो उसका ह्रदय द्रवित हो उठा l उन्ही दिनों मूलराज घुड़सवारी सीख रहा था l वह जब घुड़सवारी में पारंगत हो गया तो राजा ने उसकी कला को परखा l राजा उसकी घुड़सवारी के करतब देखकर प्रसन्न हो उठे और बोले ---" बेटा ! तुम्हे मुंहमांगा इनाम मिलेगा l बोलो तुम क्या चाहते हो ? " राजकुमार ने कहा --- "पिताजी ! यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं और मुझे कुछ देना चाहते हैं तो जिन किसानों की संपत्ति लगान न देने के कारण जब्त कर ली गई है , उसे तुरंत वापस करने का आदेश देने की कृपा करें l " राजा अपने पुत्र की दयालुता देखकर गदगद हो उठे और उन्होंने उसी समय किसानों की जब्त संपत्ति वापस करने के आदेश दे दिए l
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