इस संसार में शुरू से ही देवता और असुरों में , अँधेरे और उजाले में संघर्ष रहा है l अंधकार को सबसे ज्यादा भय उजाले से लगता है l प्रकाश आते ही अंधकार का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है l यह लड़ाई ही अस्तित्व की है l असुरता ही अंधकार है l आसुरी प्रवृति के लोगों में स्वार्थ , अहंकार , लालच , महत्वाकांक्षा , छल , कपट , , धोखा , षड्यंत्र , छिपकर वार करना ------जैसी बुराइयाँ एक सीमा से भी ज्यादा होती हैं इसलिए ये अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं l हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को सताने में कोई कसर नहीं छोड़ी l दुर्योधन , दुशासन ने अपनी ही कुलवधु द्रोपदी को भरी सभा में अपमानित किया l ऐसे असंख्य उदाहरण हैं जो इस बात को स्पष्ट करते हैं कि जब भी कोई सफलता के मार्ग पर , सच्चाई के रास्ते पर आगे बढ़ता है तो नकारात्मक शक्तियां उसके लक्ष्य तक पहुँचने के मार्ग पर अनेकों बाधाएं उपस्थित करती हैं , उनका एकमात्र उदेश्य होता है कि ऐसे व्यक्ति को मानसिक रूप से इतना उत्पीड़ित कर दो कि वह जंग हार जाये l लेकिन उगते हुए सूरज को कोई रोक नहीं सका है l यदि लक्ष्य श्रेष्ठ हो , ऊँचा हो और संकल्प दृढ हो तो सारी कायनात मदद करती है l हमें ईश्वर की सत्ता पर विश्वास होना चाहिए l आत्मविश्वास ही ईश्वर विश्वास है l विद्वानों का कहना है ----- 'अपने मन को मत गिरने दो , लोग गिरे हुए मकान की ईंटे उठाकर ले जाते हैं लेकिन खड़ी इमारत को कोई हाथ भी नहीं लगाता l '
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