22 September 2023

WISDOM ----

 भगवान  विष्णु  के  वैकुण्ठ  धाम  में   भारी  भीड़  लगी  हुई  थी  l  प्रभु  ने  आज  संकल्प  किया  था  कि  वे  अपने  धाम  से  किसी  को  खाली  हाथ  नहीं  जाने  देंगे  l  सभी  प्राणी  उनसे  भांति -भांति  की  संपदा  मांगने  में  लगे  थे  l  वैकुण्ठ  का  कोष  रिक्त  होते  देख   महालक्ष्मी  ने   भगवान  विष्णु  से  पूछा ---" हे  प्रभु  !  यह  सारी  संपदा  आप  मुक्त भाव  से   लुटा  देंगे   तो  वैकुण्ठ  में  क्या  बचेगा  ?  यहाँ  के  निवासी  कहाँ  जाएंगे  , क्या  करेंगे  ? "  लक्ष्मी जी  की  बात  सुनकर  भगवान  विष्णु  मुस्कराते  हुए  बोले  ----" देवी  !  आप  चिंता  न  करें  l  सब  कुछ  लुटाने  पर  भी  एक  निधि  ऐसी  है  , जो  मेरे  पास  सदा  सुरक्षित  रहती  है  l  उसे  यहाँ  उपस्थित  नर , किन्नर , गंधर्व , विद्याधर , देव  और  असुरों  में  से  किसी  ने  नहीं  माँगा  l  यह  निधि  है --- 'मन  की  शांति  ' l  ये  प्राणी  यह  नहीं  जानते  कि  मन  की  शांति   के  बिना   समस्त  धन  संपदा  और  त्रिलोक  का  वैभव -विलास  किसी  मूल्य  का  नहीं  है  l  बिना  शांति  प्राप्त  किए   यह  सारी  संपदा   व्यर्थ  सिद्ध  होती  है  l  "

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