मद्रास के रामकृष्ण मठ में ठाकुर का जन्मोत्सव मनाया जा रहा था | शशि महाराज (श्री रामकृष्णानंद )उस मठ के अध्यक्ष थे | मठ में कोई व्यवस्था भी नहीं थी | सभी भक्तों ने आकर पूछा -"कैसे सब होगा ?"
शशि महाराज बोले -"सबको पानी पिलाकर भेज देंगे | मठ मेरा नहीं प्रभु का है | "जब सारे भक्त आ गये ,संकीर्तन होने लगा ,तभी एक व्यक्ति एक ट्रक भरकर सामान ले आया ,ढाई हजार व्यक्तियों के लिये उसमे प्रसाद था | सभी की व्यवस्था हो गई |
भगवान देखते हैं कि हम किस पर निर्भर हैं -उस पर या धन पर |
यश -धन सभी का स्रोत परमात्मा है ,उस पर द्रढ़ विश्वास चाहिये |
शशि महाराज बोले -"सबको पानी पिलाकर भेज देंगे | मठ मेरा नहीं प्रभु का है | "जब सारे भक्त आ गये ,संकीर्तन होने लगा ,तभी एक व्यक्ति एक ट्रक भरकर सामान ले आया ,ढाई हजार व्यक्तियों के लिये उसमे प्रसाद था | सभी की व्यवस्था हो गई |
भगवान देखते हैं कि हम किस पर निर्भर हैं -उस पर या धन पर |
यश -धन सभी का स्रोत परमात्मा है ,उस पर द्रढ़ विश्वास चाहिये |
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