' तन्मय प्रकृति का बया पक्षी का घोंसला कितना सुनियोजित होता है कि वह देखते ही बनता है जबकि अन्यमनस्क कबूतर ओंधे - तिरछे तिनके जमाकर अल्प जीवी और अनगढ़ घोंसले ही बनाता रहता है । ' जो भी अपना काम मनोयोग पूर्वक करते हैं उनका क्रिया - कलाप अधिक उच्च स्तरीय परिणाम उत्पन्न करता है । काम साफ - सुथरे और कलात्मक होते हैं , साथ ही कम समय में अधिक सफलता प्राप्त करने का सुयोग बनता है । जबकि उदास मन से बेगार भुगतने की तरह भार ढोने वालों के काम न केवल फूहड़ होते हैं वरन उनकी मात्रा, स्थिति एवं सफलता भी उपहासास्पद रहती है ।
एक बार अमेरिका में स्वामी विवेकानंद ने एक व्यक्ति को बंदूक से निशाना साधने का प्रयत्न करते देखा , वह हर बार असफल रह रहा था | स्वामी जी रुके और बोले "मित्र ! लक्ष्य पर ध्यान एकाग्र करो , तभी बात बनेगी । " उस व्यक्ति ने इसे अनाधिकारी परामर्श समझा और पलटकर पूछा -- क्या आप निशाना साधना जानते हैं जो ऐसी शिक्षा देते हैं l
स्वामी जी ने कहा --- मैंने कभी बंदूक छुई तक नहीं , फिर भी आप कहें तो मैं ध्यान का अभ्यस्त होने के करने निशाना साधकर दिखा सकता हूँ । उस व्यक्ति ने कौतूहलवश छह गोली का रिवाल्वर उनके हाथ में थमा दिया । स्वामी जी ने लक्ष्य बेध के छह अलग - अलग निशान बना दिए । इसके बाद निशाने साधे गये और एक - एक करके छह बार घोड़ा दबाने पर छह ही लक्ष्य बेध दिए गये । उस अभ्यासी व्यक्ति को स्वामी जी ने चलते समय फिर कहा ---- न केवल निशाना लगाने के लिए वरन हर छोटे-बड़े काम को सफलता पूर्वक संपन्न करने के लिए एकाग्रता का अभ्यास निश्चित रूप से सहायक होता है ।
एक बार अमेरिका में स्वामी विवेकानंद ने एक व्यक्ति को बंदूक से निशाना साधने का प्रयत्न करते देखा , वह हर बार असफल रह रहा था | स्वामी जी रुके और बोले "मित्र ! लक्ष्य पर ध्यान एकाग्र करो , तभी बात बनेगी । " उस व्यक्ति ने इसे अनाधिकारी परामर्श समझा और पलटकर पूछा -- क्या आप निशाना साधना जानते हैं जो ऐसी शिक्षा देते हैं l
स्वामी जी ने कहा --- मैंने कभी बंदूक छुई तक नहीं , फिर भी आप कहें तो मैं ध्यान का अभ्यस्त होने के करने निशाना साधकर दिखा सकता हूँ । उस व्यक्ति ने कौतूहलवश छह गोली का रिवाल्वर उनके हाथ में थमा दिया । स्वामी जी ने लक्ष्य बेध के छह अलग - अलग निशान बना दिए । इसके बाद निशाने साधे गये और एक - एक करके छह बार घोड़ा दबाने पर छह ही लक्ष्य बेध दिए गये । उस अभ्यासी व्यक्ति को स्वामी जी ने चलते समय फिर कहा ---- न केवल निशाना लगाने के लिए वरन हर छोटे-बड़े काम को सफलता पूर्वक संपन्न करने के लिए एकाग्रता का अभ्यास निश्चित रूप से सहायक होता है ।
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