' विदेश में जन्म लेकर भारतीयता के प्रति श्रद्धा रखने वाले सामरसेट माम का जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायक है । '
उनका आरंभिक जीवन अति गरीबी में बीता । वह लंदन की एक गन्दी बस्ती में रहते थे , सेंट टामस मेडिकल कालेज से डाक्टरी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी उन्हें उसी गन्दी बस्ती में नारकीय जीवन बिताना पड़ा । उन्होंने गरीबों की मजबूरियों को पास से देखा था अत: उनके उपन्यासों में इसका सजीव चित्रण किया गया है ।
रंगशाला के प्रबंधकों से लेकर प्रकाशकों तक सभी ने माम की उपेक्षा की थी । परन्तु उन्हें आत्मविश्वास था कि कभी न कभी सफलता अवश्य मिलेगी । उनका आत्मविश्वास ही विजयी हुआ निराशा , उपेक्षा और अवहेलना के अंधकार में आशा का सूर्य एकदम उदित हुआ ।
दूसरे महायुद्ध के बाद वे भारत आये थे और कई दिनों तक महर्षि रमण के आश्रम में रहे थे l यहाँ
से विदा होने पर जब उनसे पूछा गया कि यहाँ की कौन सी वस्तु ने तुम्हे सबसे अधिक प्रभावित किया , तो उन्होंने कहा ------ ' मैंने भारत के गरीब किसानो को लंगोटी लगाये , भूखे पेट खेतों में काम करते देखा । वे सूर्योदय से पूर्व की कड़कड़ाती ठण्ड में काम करता है ,दोपहर की तपती धूप उसे पसीने से लथपथ कर देती है और सूर्यास्त तक अपना खेत जोतता है । वह गत 300 वर्षों से इसी प्रकार धरती माता के लिए अपना पसीना बहाता आ रहा है इसके बदले में उसे अल्पमात्रा में निर्वाह सामग्री प्राप्त हो जाती है | भारतीय कृषकों की स्थिति को देखकर मेरे ह्रदय में हलचल उत्पन्न हो गई | "
अपने नाटकों और पुस्तकों से प्राप्त आमदनी उन्होंने ब्रिटेन के युद्ध - पीड़ितों की सेवा में खर्च कर दी
उनका आरंभिक जीवन अति गरीबी में बीता । वह लंदन की एक गन्दी बस्ती में रहते थे , सेंट टामस मेडिकल कालेज से डाक्टरी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी उन्हें उसी गन्दी बस्ती में नारकीय जीवन बिताना पड़ा । उन्होंने गरीबों की मजबूरियों को पास से देखा था अत: उनके उपन्यासों में इसका सजीव चित्रण किया गया है ।
रंगशाला के प्रबंधकों से लेकर प्रकाशकों तक सभी ने माम की उपेक्षा की थी । परन्तु उन्हें आत्मविश्वास था कि कभी न कभी सफलता अवश्य मिलेगी । उनका आत्मविश्वास ही विजयी हुआ निराशा , उपेक्षा और अवहेलना के अंधकार में आशा का सूर्य एकदम उदित हुआ ।
दूसरे महायुद्ध के बाद वे भारत आये थे और कई दिनों तक महर्षि रमण के आश्रम में रहे थे l यहाँ
से विदा होने पर जब उनसे पूछा गया कि यहाँ की कौन सी वस्तु ने तुम्हे सबसे अधिक प्रभावित किया , तो उन्होंने कहा ------ ' मैंने भारत के गरीब किसानो को लंगोटी लगाये , भूखे पेट खेतों में काम करते देखा । वे सूर्योदय से पूर्व की कड़कड़ाती ठण्ड में काम करता है ,दोपहर की तपती धूप उसे पसीने से लथपथ कर देती है और सूर्यास्त तक अपना खेत जोतता है । वह गत 300 वर्षों से इसी प्रकार धरती माता के लिए अपना पसीना बहाता आ रहा है इसके बदले में उसे अल्पमात्रा में निर्वाह सामग्री प्राप्त हो जाती है | भारतीय कृषकों की स्थिति को देखकर मेरे ह्रदय में हलचल उत्पन्न हो गई | "
अपने नाटकों और पुस्तकों से प्राप्त आमदनी उन्होंने ब्रिटेन के युद्ध - पीड़ितों की सेवा में खर्च कर दी
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