जब कृष्ण भक्त मीरा ने दिया बोध --- एक कथा है ---- तीर्थाटन के दौरान जब मीरा वृन्दावन आईं तब कण - कण में अपने आराध्य प्रीतम का वास देखकर निहाल हो गईं l मीरा बिहारीजी के मंदिर में पहुंची l स्वामी जीव गोस्वामी वहां विराजते थे l लोगों ने कहा स्वामीजी स्त्रियों से नहीं मिलते , वे स्त्री की ओर देखते भी नहीं हैं l मीरा ने कहा ----- " ऐसा क्यों ? पूरे संसार में तो पुरुष मात्र श्रीकृष्ण हैं l यह कौन नया पुरुष के नाम का पट्टीदार आ गया l हम सब स्त्रियाँ हैं --- आप भी , हम भी l जहाँ तक प्रकृति है , वहां तक हम सब हैं l प्रकृति के पार तो एक ही पुरुष है ---- श्रीकृष्ण l " जीव गोस्वामी तक संवाद पहुंचा , उन्हें आत्मबोध हुआ l तुरंत मीरा मिलने आये और अपनी भूल स्वीकार की l उसके बाद उनके मन से यह भेद मिट गया l
आज इक्कीसवीं सदी में भी भारत में ऐसे मंदिर हैं जहाँ स्त्रियों के जाने की मनाही है , ऐसे सम्प्रदाय हैं , जहाँ स्त्रियों को महात्माजी नहीं देखते l उनके प्रवचन होते हैं तो स्त्रियों को पीछे बैठाया जाता है l उस समय कोई सामयिक कारण रहा होगा , लेकिन यह प्रथा अब भी चली आ रही है l यह कथा प्रेरणा प्रदान करती है l
आज इक्कीसवीं सदी में भी भारत में ऐसे मंदिर हैं जहाँ स्त्रियों के जाने की मनाही है , ऐसे सम्प्रदाय हैं , जहाँ स्त्रियों को महात्माजी नहीं देखते l उनके प्रवचन होते हैं तो स्त्रियों को पीछे बैठाया जाता है l उस समय कोई सामयिक कारण रहा होगा , लेकिन यह प्रथा अब भी चली आ रही है l यह कथा प्रेरणा प्रदान करती है l
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