8 October 2019

WISDOM ----- काल बड़ा बलवान

 काल   से  बलवान  कोई  नहीं  होता  l  काल  किसी  का  नहीं  होता  ,  काल  चक्र  में  सब  बंधे  हैं   l  
  काल   की  विपरीत  चाल  थी  कि  स्वयं   भगवती  सीता  को   रावण  जैसे  असुर  की  चाल  का  शिकार  होना  पड़ा    और  अवतारी  राम  को  वन - वन  भटकना  पड़ा  l  भगवान  राम  के  तरकश  में   एक  ही  तीर  पर्याप्त  था   रावण  का  शिरोच्छेद  कर  धराशायी  करने  में  l  इतने  दिव्यास्त्रों  से  सुसज्जित  भगवान  राम  को   काल  की  प्रतीक्षा करनी  पड़ी    और  तभी  आततायी  रावण  का  अंत  संभव  हो  सका  l  विपरीत  एवं  अंधकार की  घड़ियाँ   हमारे  धैर्य  की  परीक्षा   लेने  आती  हैं  कि  हम  प्रकाश  के  प्रति  कितने  प्रयत्नशील  हैं                                            ' तमसो  मा  ज्योतिर्गमय  ' 
 महापराक्रमी  , महाबलशाली  पांडव  ,  जिनके  पास  दिव्य  अस्त्र - शस्त्रों  का  भंडार  था  ,  दैवी  वरदान    एवं  अनुदान  से  जिनकी  झोली  भरी  पड़ी  थी  ,  स्वयं  भगवान  कृष्ण   जिनके  सखा - संबंधी  थे  ,  उनको   भी  बुरे  समय  की  मार  और  चौदह  वर्ष  का  अति  कष्टसाध्य  वनवास  झेलना  पड़ा  l  स्वयं  भगवान  भी  उनके  इस  विपरीत  समय  को  टाल  न  सके  l
 वे  धैर्यपूर्वक  विपरीत  घड़ी  के  गुजर   जाने  की  प्रतीक्षा   एक  कर्मयोगी  की तरह  करते  रहे  l   इस  अंधकार  की  अवधि  में  निरंतर  तप   तथा    संघर्ष  से   अपनी  शक्ति  को  बढ़ाया   और  ठीक  समय  आने  पर    अपने  ऊपर   ढहाए  गए    सभी  जुल्मों   और  अत्याचार  का  बदला  लिया   l
 पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का   कहना  है --- विपरीत  परिस्थितियों  में  हमें  शांत - संयत  होकर   अनगिनत  अपमान ,  तिरस्कार ,  उपेक्षा  आदि  को  असीम  धैर्य  के  साथ  सहन   करते  हुए  एक  कर्मयोगी  की  भांति  अपना  कर्तव्यपालन   करते  रहना  चाहिए   l  बुरे  समय  के  बाद  आने  वाला  अच्छा  समय  हमारा  होता  है   और  फिर  उस  समय  हम  अपराजेय  होते  हैं   l
   

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