पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है --- ' जिन्हे हम बुरी वस्तुएं समझते हैं , जिन बातों को हम अप्रिय समझते हैं , उनमे हमारी जागरूकता , चेतना और विवेक - बुद्धि को जाग्रत करने की शक्ति होती है l उससे अनुभव बढ़ता है , समझदारी आती है l यदि बुरी बातें दुनिया में न हों तो अच्छी को , श्रेष्ठता को अनुभव करने का अवसर लोगों को न मिले और निष्क्रियता अवं जड़ता बढ़ने लगे l इस प्रकार जब हम गंभीरता पूर्वक विचार करते हैं तो हमें बुराई के गर्भ में भी श्रेष्ठता प्रतीत होती है l उसके कारण हमारी अच्छाइयों को विकसित होने का अवसर मिलता है l इस प्रकार वह बुराई भी हमारी श्रेष्ठता को बढ़ाने का हेतु बनती है l "
No comments:
Post a Comment