26 February 2021

WISDOM ------

     पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी कहते  हैं ---- ' हम  में   ' न  '  कहने  की  हिम्मत  होनी  चाहिए  l   गलत  का  समर्थन  नहीं  करेंगे  ,  उसमें  सहयोग  नहीं  देंगे  l  '     लोभ - लालच ,  कामनाएँ ,  तृष्णा  , अनुचित  महत्वाकांक्षा   ऐसी  कमजोरियाँ   हैं   जिसने  मनुष्य  में  साहस  के  गुण   को  समाप्त  कर  दिया  है   l   लोगों    पास  करोड़ों , अरबों  की  संपदा   होती  है  , फिर  भी   वे स्वाभिमान  से  नहीं  जीते  , कठपुतली  बन  कर  रहते  हैं   l   आचार्य श्री  कहते  हैं ---  साहस   और   स्वाभिमान  से  जीने   लिए  हमारा   पथ  सच्चाई  का  होना   चाहिए  l ---------        एक  राक्षस   था  l    उसने  एक  आदमी   को पकड़ा  l   उसने  उसको  खाया  नहीं  ,  डराया  भर   और   बोला ------- ' मेरी  मर्जी  के  काम  में   निरंतर    लगा   रह ,  मेरे  कहे  अनुसार  चल  ,  यदि  ढील  की  तो  खा  जाऊँगा  l '     वह  आदमी  जब  तक  बस  चला  ,  तब  तक  काम  करता   रहा   l    जब थक  कर  चूर - चूर     हो गया   और     काम   सामर्थ्य   से  बाहर   हो  गया   तो  उसने  सोचा   कि   तिल - तिलकर  मरने  से  तो   एक  दिन    पूरी   तरह    मरना     अच्छा  है   l   उसने  राक्षस  से  कह   दिया  ----- " जो  मरजी   हो  सो  करे   ,  इस  तरह  मैं   नहीं  करते   रह   सकता   l   "  राक्षस   ने  सोचा   काम  का  आदमी  है   l   थोड़ा - थोड़ा  काम   बहुत  दिन  तक  करता  रहे    तो  क्या   बुरा   है  ?  एक  दिन  खा  जाने  पर    तो   उस  लाभ   से   हाथ  धोना  पड़ेगा  ,  जो  उसके  द्वारा   मिलता  रहता    है  l  राक्षस  ने  समझौता  कर   लिया   और  खाया  नहीं  ,  थोड़ा - थोड़ा  काम  करते  रहने  की   बात   मान  ली   l   '  चाहे  कैसी  भी  परिस्थिति  आएं   ,  जूझने  का  साहस  होना  चाहिए   l 

No comments:

Post a Comment