ईश्वर का नाम लेने के साथ यदि उनके आदर्शों का जीवन में पालन किया जाए तो संसार में सुख - शांति हो l आज व्यक्ति अपने से कमजोर पर अत्याचार करने को उतारू है और अपने स्वार्थ के लिए , अनुचित लाभ के लिए वह अत्याचारी की , अपराधी की मदद करता है l भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं , वे चाहते तो रावण से मुकाबला करने को महाबलशाली बालि की मदद ले सकते थे , पर श्रीराम ने किसी दुराचारी की मदद लेना स्वीकार नहीं किया l स्वेच्छाचारी अन्यायी को छोड़कर सदाचारी दीन - हीन सुग्रीव को अपना मित्र बनाया l बालि का वध करके सुग्रीव का राज्याभिषेक किया और फिर वानर सेना की मदद से सीताजी की खोज आरम्भ की l
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