17 March 2013

ALTRUISM

जो परमार्थ में लीन हैं ,तन मन और धन से परोपकार एवं परहित में निरत हैं ,वही सज्जन हैं ,सत्पुरुष हैं और वही धनवान हैं |
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य के शिष्य 120 वर्ष जीवित रहे | एक बार वे प्रवास पर थे | उस क्षेत्र में लगातार 4 वर्ष पानी नहीं गिरा था ,कुएँ -तालाब का पानी सूख गया था | सभी आए ,कहा महाराज !उपाय बताएं | वे बोले -"पुण्य होंगे तो प्रसन्न होगा भगवान | "लोगों ने पूछा ,'क्या पुण्य करें ?'तो वे बोले "सामने तालाब है ,उसमे थोड़ा ही पानी है ,इसमें मछलियां मर रहीं हैं ,पानी डालो | "लोग बोले -"हमारे लिये ही पानी नहीं है ,मछलियों को पानी कहां से दें ?"उन्होंने कहा -"कहीं से भी लाओ ,तालाब में डालो | "सभी ने पानी तालाब में डालना शुरू किया | तीसरे दिन बादल आए ,घटाएँ भरकर महीने भर बरसीं | सारा दुर्भिक्ष -पानी का अभाव दूर हो गया | 'परहित सरिस धर्म नहीं भाई | ' 

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