' व्यवहार क्षेत्र में वाक् कौशल का ही प्रभाव नहीं होता वरन प्रभाव तो उत्पन्न करती है व्यक्ति के ह्रदय में अपने उद्देश्यों के लिए कसक । ' डॉ. राधाकृष्णन का एकमात्र उद्देश्य था संतप्त मानवता को शान्ति की शीतलता प्रदान करना । इस उद्देश्य के लिए उनके ह्रदय में निरंतर एक टीस सी उठा करती थी । डॉ. राधाकृष्णन रूस में राजदूत रहे , जब वे रूस से विदा होने लगे तो लौह ह्रदय स्टालिन की भी आँखें नम हो उठीं । डॉ. राधाकृष्णन ने स्टालिन के गालों पर हाथ फेरा और उसकी पीठ को थप थपाया । । स्टालिन ने कहा ---- " आप पहले व्यक्ति हैं जिसने मुझे मनुष्य समझ कर व्यवहार किया । आप जा रहें हैं इसका मुझे भारी दुःख है । "
1967 में डॉ. राधाकृष्णन ने पुन: राष्ट्रपति पद के लिए खड़े होने से इनकार कर दिया । वे भारतीय राजनीति और व्यवस्था से क्षुब्ध हो उठे थे । उन्होंने आशा व्यक्त की थी-----"" वर्तमान संकट का सामना करने के लिए पूर्ण तथा अंतिम परिवर्तन अनिवार्य है ।
1967 में डॉ. राधाकृष्णन ने पुन: राष्ट्रपति पद के लिए खड़े होने से इनकार कर दिया । वे भारतीय राजनीति और व्यवस्था से क्षुब्ध हो उठे थे । उन्होंने आशा व्यक्त की थी-----"" वर्तमान संकट का सामना करने के लिए पूर्ण तथा अंतिम परिवर्तन अनिवार्य है ।
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