यदि लोगों का द्रष्टिकोण परिष्कृत न हुआ , लोगों में सह्रदयता न हुई , संवेदना विकसित न हुई तो ऐसा धन और बुद्धि खुशहाली नहीं बढ़ाएगी , बल्कि विनाश खड़ा कर देगी l
एक बार ब्रिटिश संसद में वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर दार्शनिकों की राय जानने के लिए पार्लियामेंट में कुछ विशेषज्ञों को बुलाया गया l उनमे एक दार्शनिक थे ---- जाँन स्टुअर्ट मिल l उन्होंने कहा ----- " मैं वेतन बढाने के सख्त खिलाफ हूँ , मजदूरों का वेतन नहीं बढ़ाया जाये l "
उन्होंने अपनी गवाही में कहा ---- ' जो वेतन बढाया जा रहा है . उसकी तुलना में उनके लिए स्कूलों का प्रबंध किया जाये , उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य का प्रबंध किया जाये l जब वे सभ्य और सुसंस्कृत हो जाएँ तभी धन की वृद्धि की जाये अन्यथा पैसों की वृद्धि करने से मुसीबत आ जाएगी और ये मजदूर तबाह हो जायेंगे l " उनकी सलाह पर ध्यान न देकर सभी ने एक मत से मजदूरों का वेतन डेढ़ गुना बढ़ा दिया l
तीन साल बाद जब इन्क्वायरी हुई कि डेढ़ गुना वेतन जो बढाया गया था उसका क्या फायदा हुआ ? मालूम पड़ा कि मजदूरों की बस्तियों में जो शिकायतें थीं , वे पहले से दोगुनी हो गईं l खून खराबा पहले से बढ़ गया , शराबखाने पहले की अपेक्षा दुगुने हो गए l वेश्यालयों की संख्या पहले कि अपेक्षा दुगुनी - चौगुनी हो गई , सुजाक आदि गुप्त रोग पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ गए l
जाँन स्टुअर्ट मिल की सलाह सही थी कि लोगों का द्रष्टिकोण , लोगों का चिंतन परिष्कृत होना चाहिए , लोगों का ईमान बढ़ना चाहिए तभी वह बढ़े हुए धन का सदुपयोग करेगा अन्यथा गरीबी से ज्यादा अमीरी महँगी पड़ सकती है , दुनिया में तबाही ला सकती है l
यही स्थिति आजकल है l जितनी पैनी अक्ल होगी , उतने ही तीखे विनाश के साधन होंगे l
संवेदनहीन , ह्रदयहीन व्यक्ति के पास जितना धन होगा , जितनी ताकत होगी , वह उतना ही सर्वनाश करेगा l
एक बार ब्रिटिश संसद में वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर दार्शनिकों की राय जानने के लिए पार्लियामेंट में कुछ विशेषज्ञों को बुलाया गया l उनमे एक दार्शनिक थे ---- जाँन स्टुअर्ट मिल l उन्होंने कहा ----- " मैं वेतन बढाने के सख्त खिलाफ हूँ , मजदूरों का वेतन नहीं बढ़ाया जाये l "
उन्होंने अपनी गवाही में कहा ---- ' जो वेतन बढाया जा रहा है . उसकी तुलना में उनके लिए स्कूलों का प्रबंध किया जाये , उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य का प्रबंध किया जाये l जब वे सभ्य और सुसंस्कृत हो जाएँ तभी धन की वृद्धि की जाये अन्यथा पैसों की वृद्धि करने से मुसीबत आ जाएगी और ये मजदूर तबाह हो जायेंगे l " उनकी सलाह पर ध्यान न देकर सभी ने एक मत से मजदूरों का वेतन डेढ़ गुना बढ़ा दिया l
तीन साल बाद जब इन्क्वायरी हुई कि डेढ़ गुना वेतन जो बढाया गया था उसका क्या फायदा हुआ ? मालूम पड़ा कि मजदूरों की बस्तियों में जो शिकायतें थीं , वे पहले से दोगुनी हो गईं l खून खराबा पहले से बढ़ गया , शराबखाने पहले की अपेक्षा दुगुने हो गए l वेश्यालयों की संख्या पहले कि अपेक्षा दुगुनी - चौगुनी हो गई , सुजाक आदि गुप्त रोग पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ गए l
जाँन स्टुअर्ट मिल की सलाह सही थी कि लोगों का द्रष्टिकोण , लोगों का चिंतन परिष्कृत होना चाहिए , लोगों का ईमान बढ़ना चाहिए तभी वह बढ़े हुए धन का सदुपयोग करेगा अन्यथा गरीबी से ज्यादा अमीरी महँगी पड़ सकती है , दुनिया में तबाही ला सकती है l
यही स्थिति आजकल है l जितनी पैनी अक्ल होगी , उतने ही तीखे विनाश के साधन होंगे l
संवेदनहीन , ह्रदयहीन व्यक्ति के पास जितना धन होगा , जितनी ताकत होगी , वह उतना ही सर्वनाश करेगा l
Very nice article,, true for current scenario,,
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