15 June 2020

WISDOM ------

 जिस  प्रकार   सूखे  बांस  आपस  की  रगड़  से  ही  जलकर  भस्म  हो  जाते  हैं  ,  उसी  प्रकार  अहंकारी  व्यक्ति  आपस  में  टकराते  हैं  और  कलह  की  अग्नि  में  जल  मरते  हैं  l ---- पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य 
      अहंकार  ज्ञान  के  सारे  द्वार  बंद  कर  देता  है   l   अहंकार  यदि  धन  का  हो   तो  व्यक्ति  धन  के  माध्यम  से  सब  कुछ  हथियाना  चाहता  है  l   जिनके  पास  असीम  धन - सम्पदा  है  ,  वे  उस  धन  के  बल  पर  संसार  पर  शासन  करना  चाहते  हैं  l    समय  के  साथ  शासन  का  तरीका  भी  बदल  जाता   है  ,  अब  वे  लोगों  के  मन  में  भय  पैदा  कर  के  ,  उन्हें  मानसिक  रूप  से  कमजोर  बना  कर ,  उनके  दैनिक  जीवन  पर  भी   नियंत्रण  करना  चाहते  हैं  l   महत्वाकांक्षा  यहीं  नहीं  रूकती  l     वे  धन  के  बल  पर  प्रकृति  को  जीतना  चाहते  हैं  l   इसी  महत्वाकांक्षा  के  कारण   अनेक  सभ्यताएँ    धूल  में  मिल  गईं  l  लेकिन  अहंकार  के  कारण  व्यक्ति  इनसे  सबक  नहीं   सीखता  l 
  विज्ञान   की  आधुनिक  तकनीकों , आविष्कारों   से   ही  आज   नियम - संयम  से  रहने  वाला  व्यक्ति  भी  स्वस्थ  नहीं  है  l     अधिक    धन  कमाने   का  लालच   संसार  को  नई - नई  बीमारियाँ   देता  है ,  फिर  उनके  इलाज  देता  है  ,  फिर  नई  बीमारी  !  यह  चक्र  कभी  ख़त्म  नहीं  होता  l
  यह  चक्र  तभी  रुकेगा  जब  व्यक्ति  जागरूक  होगा ,   आधुनिक  सुविधाओं  को  छोड़कर  एक  सरल  जीवन  जियेगा ,   प्रकृति  के  साथ  तालमेल  रखेगा  ,  संवेदनशील  बनेगा  l
 अभी  लोग  क्रूरता  और  छल - छद्म     के  आधार  पर  संसार  को   अपने  ढंग  से  चलाना   चाहते  हैं  ,  लेकिन  यदि  वे  संवेदनशील  बन  जाएँ , '  जियो   और  जीने  दो '  के  सिद्धांत  पर  चलें  ,  अपना  स्वार्थ  छोड़  दें   तो  बिना  किसी  प्रयास  के  संसार  उनके  क़दमों  में   झुकेगा   l 

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