आसुरी शक्तियां जब बल से किसी को नहीं जीत पातीं तब वे छल का सहारा लेती हैं l आसुरी प्रवृति के लोग अपनी योग्यता , अपने ज्ञान का उपयोग विनाशकारी कार्यों में करते हैं जिससे संसार के सामने महासंकट पैदा हो जाता है और उनका अहंकार स्वयं उनके विनाश का कारण बनता है l रामचरितमानस में प्रसंग है --- बालि और सुग्रीव दोनों भाइयों में प्रगाढ़ प्रेम था l सुग्रीव अपने बड़े भाई बालि को पिता की तरह मान - सम्मान देता था l बालि ने तपस्या से अनेक वरदान प्राप्त किये थे , उसे अपने बल और वरदान का बहुत अहंकार था l रावण को भी उसने अनेकों बार पराजित किया था l इस कारण उसका अहंकार और अधिक बढ़ा - चढ़ा था l उसके अहंकार के कारण ही अतिप्रेम करने वाले दोनों भाइयों में शत्रुता हो गई l प्रशंसा से उसके अहंकार को पोषण मिलता था , इसलिए जिसने भी उसकी तारीफ की वह उसे अपना सगा मान लेता था l इस कारण चाटुकार और चापलूस उसे पथभ्रमित करते थे l सुग्रीव ने भगवान राम की शरण ली और भगवान के हाथों बालि का वध हुआ l
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