राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा था ----- " भारत की दासता राजकीय नहीं है और न कभी थी l वह तो अपनी मानसिक दासता में सदियों से अपने को स्वयं को बांधता चला आ रहा है l कुप्रथाओं में वह बुरी तरह फँसा हुआ है l " इसके उन्होंने दो कारण बताये ---- पहला है छुआछूत और दूसरा है नारी अवहेलना l ये दो इतने भारी पातक हैं , जो भारतीय सामाजिक जीवन को खोखला करते जा रहे हैं l इन्हें हटाये - मिटाए बिना स्वाधीनता विशेष अर्थ नहीं रखती l
इस वैज्ञानिक युग में , इतने विकास के बावजूद भी ये दोनों समस्याएं हमारे समाज को खोखला कर रही हैं l मनुष्य अपने अहंकार की पूर्ति के लिए दलितों पर और नारी पर अत्याचार करता है l यह विषबेल लोगों के संस्कारों में समाई है l ये कुरीतियाँ मनुष्य के स्वभाव में जिस स्थान पर जड़ जमाये बैठी हैं , वहां से इन्हें हटाना - मिटाना इतना आसान नहीं है l
कुछ लोगों के अहंकार की वजह से देश की जनसँख्या का एक बहुत बड़ा भाग पीड़ित और उत्पीड़ित है l ऐसे अत्याचार और अन्याय को मिटाना ही सच्चा धर्म है l
इस वैज्ञानिक युग में , इतने विकास के बावजूद भी ये दोनों समस्याएं हमारे समाज को खोखला कर रही हैं l मनुष्य अपने अहंकार की पूर्ति के लिए दलितों पर और नारी पर अत्याचार करता है l यह विषबेल लोगों के संस्कारों में समाई है l ये कुरीतियाँ मनुष्य के स्वभाव में जिस स्थान पर जड़ जमाये बैठी हैं , वहां से इन्हें हटाना - मिटाना इतना आसान नहीं है l
कुछ लोगों के अहंकार की वजह से देश की जनसँख्या का एक बहुत बड़ा भाग पीड़ित और उत्पीड़ित है l ऐसे अत्याचार और अन्याय को मिटाना ही सच्चा धर्म है l
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