20 November 2019

WISDOM ---- स्वयं को सार्थक कार्यों में संलग्न रख चिंता से दूर रहें

  चिंता  घुन  की  तरह  होती  है  ,  यदि  यह  घुन  लग  जाये  तो  व्यक्ति  को   अंदर  से  खोखला   कर  देती  है  l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  थे --- ' चिंता  मनुष्य  को  वैसे  ही  खा  जाती  है  ,  जैसे  कपड़ों  को  कीड़ा  l  बहुत  चिंता  करने  वाले   व्यक्ति  अपने  जीवन  में   चिंता  करने  के   सिवा  और  कुछ  सार्थक  नहीं  कर  पाते   और  चिंता  से  अपनी  चिता     की  और  बढ़ते  हैं   l '
  चिंता  की  घुन  क्या  होती  है  इसे  समझाने   वाला  एक  आख्यान  है  ----  दो  वैज्ञानिक -- एक  वृद्ध  एक  युवा  --- आपस  में  बात  कर  रहे  हैं  l   वृद्ध  वैज्ञानिक  ने  कहा --- चाहे  विज्ञान   कितनी  ही  प्रगति    क्यों  न  कर  ले  ,  लेकिन  वह  अभी  तक  कोई  ऐसा  उपकरण  नहीं  ढूंढ  पाया , जिससे  चिंता  पर  लगाम  कासी  जा  सके  l "  युवा  वैज्ञानिक  ने  कहा --- 'चिंता  तो  बहुत  साधारण  बात  है  , उसके  लिए   उपकरण   की  क्या  आवश्यकता  l '
 वृद्ध  वैज्ञानिक  ने  कहा --- ' चिंता  बहुत  भयानक  होती  है   l '  इसे  समझने  के  लिए   वे  उस  युवा  वैज्ञानिक  को  जंगल  ले  गए  l   एक  विशालकाय  वृक्ष  के  सामने  खड़े  हुए   और  कहा --- देखो  , इस  वृक्ष  की   उम्र  चार सौ   वर्ष  है  l   इन  चार  सौ   वर्षों  में   इस  वृक्ष  ने  कितने  आंधी - तूफान  झेले ,   अनेकों  बार  इस  पर  बिजली  गिरी ,  लेकिन  इन  सबसे  यह  धराशायी  नहीं  हुआ  l   लेकिन  इसकी  जड़ों  को  देखो  उन्हें  दीमक   ने  खोखला  कर  दिया  है  l   इसी  तरह   चिंता   दीमक   की  तरह    सुखी , समृद्ध  और  ताकतवर   व्यक्ति  को  खोखला  कर  देती  है  l
  आचार्य श्री  का  कहना  है --- ' स्वयं  को  सदा  सार्थक  कार्यों  में  संलग्न  रखें ,  ,  मन  को   अच्छे विचारों  से  ओत - प्रोत  रखें   और  जीवन   के  प्रति  सकारात्मक    दृष्टिकोण    रखने  से    मन    को  चिंता मुक्त  रखा  जा  सकता  है  l  

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