25 April 2020

WISDOM --- आध्यात्मिक ज्ञान का समावेश होने से ही वैज्ञानिक अविष्कार मानव के लिए उपयोगी हो सकते हैं --पं. श्रीराम शर्मा आचार्य l

   प्राचीन  समय  में  मनुष्य   विज्ञान   के  अविष्कार  सृजन  के  लिए  करते  थे  ,  विध्वंस  के  लिए  नहीं  l   उस  समय  की  विशेषता  थी  कि   गुरु  विद्दा  देते  समय   वचन   लेते    थे  कि   इनका  दुरूपयोग  मत  करना   l   महाभारत  में  ' पाशुपत  अस्त्र ' का  वर्णन  आता  है   l   अर्जुन  ने  शिवजी  की  तपस्या  कर   यह  अस्त्र  प्राप्त  किया  ,  भगवान   शिव  ने  चलाने  और  लौटाने   की  विधि  भी  सिखाई  ,  और  साथ  ही  यह  आदेश  भी  दिया   था  कि   इस  अस्त्र  को  केवल   राक्षस  या  राक्षस  वृत्ति  वाले  लोगों  पर  ही  चलाना   अन्यथा  यह  तुम्हारा  ही  विनाश  करेगा  l   इसी  प्रकार  ' नारायण  अस्त्र '  द्रोणाचार्य  के  पास  था  l   इस  हथियार  के  चलते  ही   सब  शस्त्र   व्यर्थ  हो  जाते  थे  l   जब  आचार्य  द्रोण   ने  यह  अस्त्र  चलाया   तो  भगवन  कृष्ण  ने  कहा  --- " तुम  सब  अपने  हथियार  फेंककर   सिर    झुका  दो ,  यही  इस  अस्त्र  से  बचने  का   उपाय  है  l  "
 भारतीय  योगी  और  सिद्ध  संत   अपनी  आत्मशक्ति  और  क्षमताओं  का  प्रयोग   चमत्कार  दिखाने   और  दूसरों  का  अहित  करने  में  नहीं  करते  थे  ,  वे  ब्रह्मास्त्र  आदि  को  मन्त्र  शक्ति  से  छोड़ना  और  वापिस  बुलाना  भी  जानते  थे  l   लेकिन  आज  मनुष्य  के  लिए  अपनी  स्वार्थपूर्ति  ही  सब  कुछ  है  l   अब  मनुष्य  की  इन  प्रकृतिदत्त  क्षमताओं  का   उपयोग  संपन्न  राष्ट्र    शत्रु  पक्ष  का  विनाश  करने  के  लिए  और  संसार  के  लोगों  के ' माइंड ' पर    नियंत्रण  करने    के  लिए     करते  हैं  l
  शत्रु  अदृश्य  हो  तो   प्रतिपक्षी  के  समस्त  युद्ध  आयुध , बम  और  रणनीति  विफल  हो  जाती  है   और  आक्रमणकारी    अपना  प्रभुत्व  ज़माने  के  साथ - साथ   लोगों  के  मन  पर  ,  उनके  व्यक्तिगत  जीवन  के  क्रियाकलाप  पर  भी  नियंत्रण  करने  में  सफल  हो  जाता  है  l   विज्ञानं  ने  मानव  को  सब  भौतिक  सुख - सुविधाएँ  तो   दीं   पर  साथ  ही  यह  रिफाइंड  गुलामी  भी  दे  दी   l 

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