19 April 2020

WISDOM ----- अनीति ही हिंसा है

  ऋषि  का  कहना  है ----  अनीति  का  प्रतिकार  करने  के  लिए   जब  अहिंसा   समर्थ  न  हो   तो  हिंसा  भी   अपनाई  जा  सकती  है   l  अन्याय  के  विरुद्ध  क्रुद्ध  होना  मानवता  का  चिन्ह  है  l  यदि  अन्याय  को  सहन  करते    रहा  जायेगा    तो  इससे  अनीति  बढ़ेगी   और  इस  सुन्दर  संसार  में   अशान्ति   उत्पन्न  होगी   l   स्वार्थ  और  अन्याय  के  लिए  आक्रमण  वर्जित  है   लेकिन  आत्मरक्षा  और  अनाचार  की  रोकथाम  के  लिए   हिंसा  अपनानी  पड़े  तो  उसे  अनुचित  नहीं  माना  जा  सकता   l   आवश्यकता  पड़ने  पर  कांटे  से  काँटा  निकालना ,  विष  से  विष  मारने  की  नीति  उचित  कही  जाती  है  l
  सज्जनता  और  दुष्टता  की  अति  कहीं  भी  नहीं  होनी  चाहिए   l 

No comments:

Post a Comment