पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- " दूरसंचार क्रान्ति का सकारात्मक उपयोग हो , तो इसे वैचारिक क्रान्ति का कारगर एवं असरदार हथियार बनाया जा सकता है l " महात्मा गाँधी स्वयं जनसंचार के हिमायती थे l वर्ष 1930 के दांडी मार्च के निपुण चित्रांकन ने शीघ्र ही नमक सत्याग्रह को विश्वप्रसिद्ध घटना बना दिया l दांडी के लिए प्रस्थान करने से पहले बापू ने तीन फिल्म कर्मचारियों और कुछ फोटोग्राफरों को चुनकर अपने साथ कर लिया था l मोटरकार में गाँधी जी पीछे - पीछे चलकर उन्होंने पूरे अभियान की तस्वीरें खींची , जो दुनियाभर में दिखाई गईं l धूलधूसरित मैदान में लंबे डग भरते हुए अपने अनुयायिओं का नेतृत्व करते हुए महात्मा गाँधी की छवि तब लाखों लोगों के दिलों में बस गई थी l आचार्य श्री का कहना है ---' यदि इरादे नेक हों , दुर्बुद्धि दूर हो तो दूरसंचार सुविधा विचार - क्रांति का अनोखा हथियार होगी l '
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