19 November 2020

WISDOM -----

   चित्रगुप्त  महाराज  के  यहाँ   समाधान  न  हो  पाने  से  समस्या  धर्मराज  के  सामने  लाई   गई  l   एक  संत   अपने  त्याग  के  बदले  सद्गति  चाहते  थे  ,  जबकि  चित्रगुप्त  के  हिसाब  से   उन्हें  केवल   कुलीन  कुल  में  जन्म  देने  की  व्यवस्था  थी  l  धर्मराज  ने  विवरणों  का  सर्वेक्षण  किया   और  बोले  --- " संत जी ,  आपका  यह  कथन  ठीक  है   कि   आपने  सांसारिक  पद - प्रतिष्ठा  का  मोह  नहीं  किया   और  समय  और  शक्ति  उसमे  नष्ट  नहीं  की  l   त्याग  के  इस  साहस  के  पुण्य  से   आपको  श्रेष्ठकुल   व  सत्परिस्थितियों  में  जन्म   मिलेगा  l   किन्तु  आपने   त्याग  के  द्वारा  बचाई   ईश्वरीय  विभूतियों   को   किसी  ईश्वरीय   उद्देश्य  में ,  लोक - कल्याण  में  नहीं  लगाया  l  उन्हें  सही  दिशा  में  गति  नहीं  दी  l  इसलिए  आप  सद्गति  के  अधिकारी  नहीं  बनें  l "  संत  का  समाधान  हो  गया   और  अगले  जीवन  में   त्याग   के साथ   शक्तियों  के  सुनियोजन  का  संकल्प  लेकर  विदा  हुए   l 

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