11 March 2021

WISDOM ------

   ईश्वर  के  प्रति  यदि  हमारी  भक्ति  सच्ची  है ,  कोई  छल - कपट  नहीं  है  तो  भक्ति  से  भावनाएं  परिष्कृत  होती  हैं  और  मन  को  शांति  मिलती  है   l   भक्त  प्रह्लाद  को  मारने  के  लिए  उनके  पिता  हिरण्यकशिपु   और  शुक्राचार्य  ने  कोई  कसर   न  छोड़ी ,  हर  संभव  प्रयास  किये ,  लेकिन  प्रह्लाद   निश्चिन्त  और  निर्भय  थे  l   उनकी  माता  कयाधु   उनके लिए  चिंतित  और  भयभीत  रहती  थीं  l  प्रह्लाद  जब - तब  अपनी  माता  को  समझाया  करते ---- " माता  !  चिंता  की  कोई  बात  नहीं  है  l   भगवान  नारायण   हैं  न  l  रही  बात  विपदाओं  और  विपत्तियों  की  ,  तो  ये  केवल  भक्त  की  परीक्षा  नहीं  लेतीं ,     इन   क्षणों  में   परीक्षा  भगवान  की  भी  होती  है   l   भक्त  की  परीक्षा  इस  बात  की  होती  है   कि   भक्त  की  निष्ठा ,   श्रद्धा ,  आस्था   कितनी  सच्ची  और  अडिग  है   l    भगवान  की  परीक्षा  इस  बात  की  होती  है    कि   वे  कितने  भक्तवत्सल   और  कितने  समर्थ  हैं    l   '     हम  सच्चे  भक्त  बने ,  भगवान  कभी  भी  अपने  भक्त  को  अकेला  नहीं  छोड़ते  ,  हर  पल  उसका  ध्यान  रखते  है   इसलिए  भक्त   सर्वथा  शांत  और  निश्चिन्त  रहता  है   l 

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