नारियाँ अपरिमित शक्ति एवं क्षमता संपन्न हैं l नारी की शक्ति के आगे महाप्रतापी रावण जिसकी सोने की लंका थी , भिखारी बनना पड़ा l नारी शक्ति से तो यमराज भी डर गए l सावित्री के पति सत्यवान को लेने आए थे l सावित्री के तेज और संकल्प बल से प्रसन्न होकर उनके पति को मुक्त कर जीवन दिया और सावित्री को तीन वरदान भी देकर गए l नारी का संकल्प बल जाग जाये तो वह क्या नहीं कर सकती ? सती अनसूया ने अपने पतिव्रत धर्म का पालन करने के लिए ब्रह्मा , विष्णु , महेश को शिशु बना दिया l ऐसे उदाहरणों से हमारा इतिहास भरा पड़ा है l नारी शक्ति से पुरुष प्रधान समाज का भयभीत होना स्वाभाविक है l अपने अस्तित्व की रक्षा सभी करना चाहते हैं ! लेकिन किसी को मिटाकर नहीं , ' जियो और जीने दो ' का सिद्धांत अपनाकर , दूसरे की महत्ता को स्वीकार कर के भी अपने सम्मान , अपने गौरव को बनाए रखा जा सकता है l
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