सवर्णों के दबाव के कारण अछूत वर्ग के व्यक्तियों को मुसलमान बनाने में यवनों को मदद मिलती थी l संत रविदास एक ओर अपने लोगों को समझाते और कहते ---- :; तुम सब हिन्दू जाति के अभिन्न अंग हो , तुम्हे दलित जीवन जीने की अपेक्षा मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए और दूसरी ओर वे कुलीनों से भी टक्कर लेते , कहते वर्ण विभाजन का संबंध मात्र सामाजिक व्यवस्था से है l " उनकी इस अटूट निष्ठा का ही फल था कि रामानंद जैसे महान सवर्ण संत एक दिन स्वयं ही उनकी कुटिया में पधारे और रविदास को दीक्षा देकर उनने उनके आदर्शों की प्रमाणिकता को खरा सिद्ध कर दिया l
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