' सच्चे गुरु के लिए सैकड़ों जन्म समर्पित हैं , सच्चा गुरु वहां पहुंचा देता है जहाँ शिष्य अपने पुरुषार्थ से कभी नहीं पहुँच सकता है l " पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' जो भी गुरुसत्ता के चरणों में , उनके आदर्शों के प्रति समर्पित हो , अपने मन व बुद्धि को लगा देता है , संशयों को मन से निकाल देता है , उसके जीवन की दिशा धारा ही बदल जाती है l उसका आध्यात्मिक कायाकल्प हो जाता है l आंतरिक चेतना के परिमार्जन एवं उसके विकास के लिए जिस दवा की आवश्यकता होती है , वह अत्यंत दुर्लभ होती है l सामर्थ्यवान गुरु ही ऐसी दवा देने की क्षमता रखता है l "
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