भजन - जप - उपासना का लाभ और आनंद उन्ही को मिलता है जो उसे अपने अन्दर आत्मसात करते हैं , ह्रदय की गहराई के साथ करते हैं l शब्द कुछ भी हों , लेकिन यदि भावनाएं पवित्र हैं , सच्ची हैं तो उसका लाभ व आनंद अवश्य मिलता है l
एक प्रसंग है ---- एक बार गुरु गोविन्द सिंह के शिष्यों ने उनसे पूछा ---- " हम प्रतिदिन भगवान का भजन करते हैं , पर हमें कोई लाभ नहीं होता " l गुरु गोविन्द सिंह जी बोले --- " इस प्रश्न का उत्तर मैं कुछ समय बाद दूंगा l
कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाकर कहा ---- " तुम सभी मिलकर एक बड़े मटके में ताड़ी भरकर लाओ और फिर उससे कुल्ला कर के मटका खाली कर दो l " शिष्यों ने आज्ञानुसार वैसा ही किया l पहले मटके में ताड़ी भरकर लाये फिर उससे कुल्ला कर के पूरा मटका खाली कर दिया और गुरु के पास पहुंचे l
गुरु ने पूछा --- " क्या तुमने पूरी ताड़ी समाप्त कर दी ? " शिष्यों ने कहा --- आपकी आज्ञा नुसार हमने ताड़ी से कुल्ला कर के पूरा मटका खाली कर दिया l "
अब गुरूजी ने कहा ---- " " इतनी ताड़ी थी तुम लोगों को नशा नहीं हुआ l "
शिष्यों को आश्चर्य हुआ , वे बोले --- " गुरुदेव ! हमने ताड़ी से केवल कुल्ला किया , उसको गले से नीचे नहीं उतारा, तो नशा कैसे होगा ? "
गुरु गोविन्द सिंह ने उनकी इस बात से उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा ---" शिष्यों ! तुमने भगवान का भजन तो किया लेकिन ऊपर - ऊपर से , उसे गले से नीचे नहीं उतारा l जब तक भगवद भजन के साथ तुम्हारा मन नहीं जुड़ेगा , तब तक तुम्हे कोई लाभ नहीं होगा l "
एक प्रसंग है ---- एक बार गुरु गोविन्द सिंह के शिष्यों ने उनसे पूछा ---- " हम प्रतिदिन भगवान का भजन करते हैं , पर हमें कोई लाभ नहीं होता " l गुरु गोविन्द सिंह जी बोले --- " इस प्रश्न का उत्तर मैं कुछ समय बाद दूंगा l
कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाकर कहा ---- " तुम सभी मिलकर एक बड़े मटके में ताड़ी भरकर लाओ और फिर उससे कुल्ला कर के मटका खाली कर दो l " शिष्यों ने आज्ञानुसार वैसा ही किया l पहले मटके में ताड़ी भरकर लाये फिर उससे कुल्ला कर के पूरा मटका खाली कर दिया और गुरु के पास पहुंचे l
गुरु ने पूछा --- " क्या तुमने पूरी ताड़ी समाप्त कर दी ? " शिष्यों ने कहा --- आपकी आज्ञा नुसार हमने ताड़ी से कुल्ला कर के पूरा मटका खाली कर दिया l "
अब गुरूजी ने कहा ---- " " इतनी ताड़ी थी तुम लोगों को नशा नहीं हुआ l "
शिष्यों को आश्चर्य हुआ , वे बोले --- " गुरुदेव ! हमने ताड़ी से केवल कुल्ला किया , उसको गले से नीचे नहीं उतारा, तो नशा कैसे होगा ? "
गुरु गोविन्द सिंह ने उनकी इस बात से उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा ---" शिष्यों ! तुमने भगवान का भजन तो किया लेकिन ऊपर - ऊपर से , उसे गले से नीचे नहीं उतारा l जब तक भगवद भजन के साथ तुम्हारा मन नहीं जुड़ेगा , तब तक तुम्हे कोई लाभ नहीं होगा l "
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