इस संसार में अच्छाई और बुराई दोनों शक्तियां कार्य करती हैं l अच्छाई की रक्षा के लिए आवश्यक है कि बुराई का विरोध किया जाये , उसे नष्ट किया जाये l
बुराई छोटी है , यह समझकर यदि उसकी उपेक्षा की जाये तो वह क्षय रोग की तरह उस उपेक्षा से उठकर चुपके - चुपके अपना कब्ज़ा जमाती है और एक दिन उसका पूरा आधिपत्य हो जाता है l बुराइयों का आकर्षण अच्छाइयों की अपेक्षा अधिक चमकदार होता है , इसलिए देखा जाता है कि निर्बल शक्ति वाले प्राय: बड़ी आसानी से बुराइयों का प्रलोभन सामने आते ही फिसल जाते हैं और उसके चंगुल में फंस जाते हैं l
भगवान ने गीता में अर्जुन को " सदा युद्ध में रत रहने का उपदेश दिया है l यह सतत युद्ध निम्न वृतियों के विरुद्ध जारी रहना चाहिए l " हम अन्य आवश्यक कार्यों की तरह अपनी बुराइयों का नाश करें और अपने चारों ओर फैली हुई बुराइयों , अन्याय और अत्याचार से लड़ें l
निर्बल को देखकर हर किसी को आक्रमण , अन्याय और शोषण करने का लालच आता है इसलिए ऋषियों का मत है कि --- ' न्याय रक्षा के लिए जहाँ शक्तिमानो का धर्मात्मा बनना उचित है , वहां दुर्बलों को भी अपना बल बढ़ाना आवश्यक है l गायत्री मन्त्र में ' भर्ग ' शब्द का सन्देश है कि हम अपना शारीरिक , बौद्धिक , आर्थिक , चारित्रिक तथा संगठन बल बढ़ाएं , जिससे दुर्बलता तथा अन्य हानियों से बच सकें l
बुराई छोटी है , यह समझकर यदि उसकी उपेक्षा की जाये तो वह क्षय रोग की तरह उस उपेक्षा से उठकर चुपके - चुपके अपना कब्ज़ा जमाती है और एक दिन उसका पूरा आधिपत्य हो जाता है l बुराइयों का आकर्षण अच्छाइयों की अपेक्षा अधिक चमकदार होता है , इसलिए देखा जाता है कि निर्बल शक्ति वाले प्राय: बड़ी आसानी से बुराइयों का प्रलोभन सामने आते ही फिसल जाते हैं और उसके चंगुल में फंस जाते हैं l
भगवान ने गीता में अर्जुन को " सदा युद्ध में रत रहने का उपदेश दिया है l यह सतत युद्ध निम्न वृतियों के विरुद्ध जारी रहना चाहिए l " हम अन्य आवश्यक कार्यों की तरह अपनी बुराइयों का नाश करें और अपने चारों ओर फैली हुई बुराइयों , अन्याय और अत्याचार से लड़ें l
निर्बल को देखकर हर किसी को आक्रमण , अन्याय और शोषण करने का लालच आता है इसलिए ऋषियों का मत है कि --- ' न्याय रक्षा के लिए जहाँ शक्तिमानो का धर्मात्मा बनना उचित है , वहां दुर्बलों को भी अपना बल बढ़ाना आवश्यक है l गायत्री मन्त्र में ' भर्ग ' शब्द का सन्देश है कि हम अपना शारीरिक , बौद्धिक , आर्थिक , चारित्रिक तथा संगठन बल बढ़ाएं , जिससे दुर्बलता तथा अन्य हानियों से बच सकें l
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