प्रसिद्ध कवि अब्दुर्रहीम खानखाना के पास एक व्यक्ति आया और उनसे पूछने लगा कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण कौन सा संयम है ? उन्होंने कविता के माध्यम से उत्तर दिया -----
' रहिमन जिह्वा बावरी , कर गई सरग पताल l खुद कह भीतर घुस गई , जूती पड़े कपाल l l
अर्थात सारे संयमों में वाणी का संयम अत्यंत महत्वपूर्ण है l जीभ खुद तो बात कहकर मुंह के अन्दर चली जाती है , परन्तु उसका परिणाम कहने वाले को भुगतना पड़ता है l
मौन हमें कई बार व्यर्थ के विवादों और इससे उत्पन्न होने वाली परेशानियों से बचा लेता है l लेकिन केवल न बोलना ही मौन नहीं है l यदि किसी के मन में विचारों की उथल - पुथल हो रही है या उसके मन में किसी अन्य व्यक्ति राग - द्वेष या क्रोध का ज्वार उठ रहा हो तो इसे मौन नहीं कह सकते l वास्तविक व पूर्ण मौन वह है , जिसमे मन और वाणी दोनों ही पूरी शांत हों l
मौन साधने से व्यक्ति के अन्दर स्थिरता व शांति बढ़ती है और उसे अपने कार्यों में सफलता मिलती है l
' रहिमन जिह्वा बावरी , कर गई सरग पताल l खुद कह भीतर घुस गई , जूती पड़े कपाल l l
अर्थात सारे संयमों में वाणी का संयम अत्यंत महत्वपूर्ण है l जीभ खुद तो बात कहकर मुंह के अन्दर चली जाती है , परन्तु उसका परिणाम कहने वाले को भुगतना पड़ता है l
मौन हमें कई बार व्यर्थ के विवादों और इससे उत्पन्न होने वाली परेशानियों से बचा लेता है l लेकिन केवल न बोलना ही मौन नहीं है l यदि किसी के मन में विचारों की उथल - पुथल हो रही है या उसके मन में किसी अन्य व्यक्ति राग - द्वेष या क्रोध का ज्वार उठ रहा हो तो इसे मौन नहीं कह सकते l वास्तविक व पूर्ण मौन वह है , जिसमे मन और वाणी दोनों ही पूरी शांत हों l
मौन साधने से व्यक्ति के अन्दर स्थिरता व शांति बढ़ती है और उसे अपने कार्यों में सफलता मिलती है l
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