' मनुष्य पाप कर के यह सोचता है कि मेरा पाप कोई नहीं जानता , पर उसके पाप को न केवल देवता जानते हैं , बल्कि सब के ह्रदय में स्थित परम पिता परमेश्वर भी जानते हैं l '
अनाचारी और अधर्मी अपनी सामर्थ्य शक्ति का घोर दुरूपयोग करते हैं l ऐसे लोग इस कदर ह्रदयहीन होते हैं कि ये अशक्त , निरीह , दुर्बल , बच्चे बूढ़ों पर भी निर्ममता से वार करते हैं l अत्याचारी और अनाचारी के लिए कोई नीति, धर्म व मर्यादा नहीं होती l अपने तुच्छ स्वार्थ व अहंकार की पूर्ति लिए वे कुछ भी करने के लिए , किसी भी स्तर तक गिरने के लिए तैयार रहते हैं l जहाँ बल से काम न बने , वहां छल से काम लेते हैं l जहाँ शक्ति से काम न निकले , वहां वे छद्म से काम लेते हैं l जहाँ सामर्थ्य से हल न निकले , वहां ये विश्वासघात का हथियार उपयोग करते हैं l
अनाचारी और अधर्मी को स्वयं पर विश्वास नहीं होता l ये डरते रहते हैं कि कहीं कोई अधिक बलशाली इनके वर्चस्व को समाप्त न कर दे l अधर्मी मामा कंस के आतंक का इतिहास गवाह है l शक्तिशाली होने के बावजूद भयभीत था , उसने अपनी ही बहन की सात नवजात संतानों को मृत्यु के घाट उतार दिया l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने लिखा है ---- ' अनीति और अधर्म से किसी को सफलता मिलते भले ही दिखाई पड़े , परन्तु उनका अंत बड़ा ही वीभत्स एवं भयानक होता है l कर्म किसी को नहीं छोड़ता l दुष्कर्मों का परिणाम आने में भले ही देरी हो , किन्तु कर्म फल से कोई नहीं बचा है l अत: काल और कर्म से डरते हुए सदा सत्कर्म करते रहना चाहिए l
अनाचारी और अधर्मी अपनी सामर्थ्य शक्ति का घोर दुरूपयोग करते हैं l ऐसे लोग इस कदर ह्रदयहीन होते हैं कि ये अशक्त , निरीह , दुर्बल , बच्चे बूढ़ों पर भी निर्ममता से वार करते हैं l अत्याचारी और अनाचारी के लिए कोई नीति, धर्म व मर्यादा नहीं होती l अपने तुच्छ स्वार्थ व अहंकार की पूर्ति लिए वे कुछ भी करने के लिए , किसी भी स्तर तक गिरने के लिए तैयार रहते हैं l जहाँ बल से काम न बने , वहां छल से काम लेते हैं l जहाँ शक्ति से काम न निकले , वहां वे छद्म से काम लेते हैं l जहाँ सामर्थ्य से हल न निकले , वहां ये विश्वासघात का हथियार उपयोग करते हैं l
अनाचारी और अधर्मी को स्वयं पर विश्वास नहीं होता l ये डरते रहते हैं कि कहीं कोई अधिक बलशाली इनके वर्चस्व को समाप्त न कर दे l अधर्मी मामा कंस के आतंक का इतिहास गवाह है l शक्तिशाली होने के बावजूद भयभीत था , उसने अपनी ही बहन की सात नवजात संतानों को मृत्यु के घाट उतार दिया l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने लिखा है ---- ' अनीति और अधर्म से किसी को सफलता मिलते भले ही दिखाई पड़े , परन्तु उनका अंत बड़ा ही वीभत्स एवं भयानक होता है l कर्म किसी को नहीं छोड़ता l दुष्कर्मों का परिणाम आने में भले ही देरी हो , किन्तु कर्म फल से कोई नहीं बचा है l अत: काल और कर्म से डरते हुए सदा सत्कर्म करते रहना चाहिए l
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