6 May 2020

WISDOM ----

   जब  संसार  में  आसुरी  शक्तियां   प्रबल  हो  जाती  हैं  तो  वे  संसार  को   अपनी  इच्छानुसार  चलाना   चाहती  हैं  ,  वे  स्वयं  को  ईश्वर  से  भी  बड़ा  समझती  हैं   l   उनका  अहंकार  इतना  बढ़  जाता  है  कि  वे  मनुष्य  के  क्रिया- कलाप  पर  भी  अपना  नियंत्रण  करना  चाहती  हैं  l  जीवन  के  प्रत्येक  क्षेत्र  में  चाहे  वह  कृषि  हो , उद्दोग , चिकित्सा , शिक्षा  , कला , मनोरंजन  --कोई  भी  क्षेत्र  हो  उसे  वह  अपनी  मर्जी  से  चलाना   चाहती  हैं   l   आसुरी  प्रवृति  का  मुख्य  लक्षण  ही  अनीति  और  अत्याचार  है   , इसलिए  हर  क्षेत्र  में  शोषण , उत्पीड़न    के  कारण  जनता  त्राहि - त्राहि  करने  लगती  है  l
 पुराणों  में  हिरण्यकश्यप  की  कथा  आती  है  ,  वह  असुर  राजा  था  , शक्तिशाली  था  l  वह  स्वयं  को  ईश्वर  से  भी  बड़ा  समझता  था  , उसका  कहना  था  सब  उसकी  पूजा  करें ,  ईश्वर  की  नहीं  l   लेकिन  उसके  पुत्र  प्रह्लाद  ने  उसकी  बात  नहीं  मानी  l   प्रह्लाद  ने  कहा --- पितृभक्त  के  नाते   आपकी  सेवा  करना  ,  और  सुख  देना  मेरा  कर्तव्य  है   लेकिन  आपकी  अनीति  और  अविवेकपूर्ण  बात  को  मैं  स्वीकार  नहीं  करूँगा  ,  कुमार्ग  पर  नहीं  चलूँगा  l
हिरण्यकश्यप  ने  प्रह्लाद  को  कष्ट  देने  में ,  उसे  मृत्यु  के  मुख  में  डालने  में  कोई  कसर   नहीं  छोड़ी  l
 कहते  हैं  ' जाको  राखे   साइंया    मार  सके  न  कोई  '    असुरता  यहीं  पराजित  हो  जाती  है  l  वह  व्यक्ति  की  मृत्यु  पर  भी  अपना  नियंत्रण   चाहती  है  l    प्रत्येक  व्यक्ति  की   मृत्यु  कब , कहाँ  और  कैसे  होगी  ,  यह  ईश्वर  के  हाथ  में  है    l     हिरण्यकश्यप  का   यह  दुस्साहस  भगवान   को  सहन  नहीं  हुआ   और  नरसिंह   रूप  में  प्रकट  होकर  उन्होंने  हिरण्यकश्यप  को  चीड़ - फाड़   के  रख  दिया   l  

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