आज मनुष्य के लोभ - लालच और स्वार्थ ने उसे संवेदनहीन बना दिया है l विकास के नाम पर जो सुविधाएँ मिली हैं उनका उपयोग लोगों की मदद करने के लिए नहीं वरन मुसीबत में घिरे लोगों का वीडिओ बनाने , फोटो खींचने आदि विभिन्न तरीकों से पैसा कमाने के लिए किया जाता है l संवेदनहीनता ने मनुष्य को पशु से भी निम्न स्तर पर ला दिया है l
प्राचीन समय में गुरुकुल में राजा हो या रंक सबको बिना किसी भेदभाव के शिक्षा दी जाती थी और वहां के वातावरण में रहकर बच्चे सत्य , न्याय , कर्तव्यपालन , संवेदनशीलता आदि मानवीय गुणों से संपन्न हो जाते थे लेकिन वर्तमान शिक्षा ----- ?
एक कथा है ---- एक राजा का पुत्र अत्यंत दुष्ट स्वभाव का था l राजा ने उसे सुधारने का बहुत यत्न किया परन्तु सारे प्रयास विफल ही सिद्ध हुए l सभी उसके उत्पातों से परेशान रहते थे l कुलगुरु को जब इस सन्दर्भ में ज्ञात हुआ तो वे राजकुमार से मिलने गए l वे उसे राजवन में घुमाते हुए एक नीम के वृक्ष के पास ले गए और उसका एक पत्ता तोड़कर राजकुमार को चखने को दिया l राजकुमार का मुंह पत्ता चखने से कड़ुआहट से भर गया l उसने कुलगुरु से तो कुछ नहीं कहा , परन्तु उसने क्रोधित होते हुए सेवकों को बुलाकर उन्हें आदेश दिया कि वे उस पेड़ को जड़ से उखाड़ डालें l कुलगुरु ने पूछा --' उसने ऐसा क्यों किया ? '
राजकुमार ने उत्तर दिया --- " गुरुवर ! यह पेड़ इतना कड़ुआ है , इसका कड़ुआपन अनेकों तक पहुँचता , इसलिए मैंने इसे सदा के लिए नष्ट कर दिया l "
कुलगुरु बोले --- " वत्स ! जो प्रजा तुम्हारे व्यवहार के कड़ुएपन से दुःखी है , यदि वह भी प्रत्युत्तर में ऐसा ही व्यवहार तुम्हारे साथ करे तो तुम्हे कैसा लगेगा ? " राजकुमार को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने अपना व्यवहार सदा के लिए बदल दिया l
प्राचीन समय में गुरुकुल में राजा हो या रंक सबको बिना किसी भेदभाव के शिक्षा दी जाती थी और वहां के वातावरण में रहकर बच्चे सत्य , न्याय , कर्तव्यपालन , संवेदनशीलता आदि मानवीय गुणों से संपन्न हो जाते थे लेकिन वर्तमान शिक्षा ----- ?
एक कथा है ---- एक राजा का पुत्र अत्यंत दुष्ट स्वभाव का था l राजा ने उसे सुधारने का बहुत यत्न किया परन्तु सारे प्रयास विफल ही सिद्ध हुए l सभी उसके उत्पातों से परेशान रहते थे l कुलगुरु को जब इस सन्दर्भ में ज्ञात हुआ तो वे राजकुमार से मिलने गए l वे उसे राजवन में घुमाते हुए एक नीम के वृक्ष के पास ले गए और उसका एक पत्ता तोड़कर राजकुमार को चखने को दिया l राजकुमार का मुंह पत्ता चखने से कड़ुआहट से भर गया l उसने कुलगुरु से तो कुछ नहीं कहा , परन्तु उसने क्रोधित होते हुए सेवकों को बुलाकर उन्हें आदेश दिया कि वे उस पेड़ को जड़ से उखाड़ डालें l कुलगुरु ने पूछा --' उसने ऐसा क्यों किया ? '
राजकुमार ने उत्तर दिया --- " गुरुवर ! यह पेड़ इतना कड़ुआ है , इसका कड़ुआपन अनेकों तक पहुँचता , इसलिए मैंने इसे सदा के लिए नष्ट कर दिया l "
कुलगुरु बोले --- " वत्स ! जो प्रजा तुम्हारे व्यवहार के कड़ुएपन से दुःखी है , यदि वह भी प्रत्युत्तर में ऐसा ही व्यवहार तुम्हारे साथ करे तो तुम्हे कैसा लगेगा ? " राजकुमार को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने अपना व्यवहार सदा के लिए बदल दिया l
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