पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- " व्यक्तित्व को प्रखर , प्रामाणिक और पवित्र बनाने की प्रक्रिया जीवन साधना है l धन संबंधी ईमानदारी और कर्तव्य संबंधी जिम्मेदारी का समन्वय किसी व्यक्ति को प्रामाणिक और प्रतिष्ठित बनाता है l " जिसका व्यक्तित्व प्रामाणिक होता है उसके द्वारा किया जाने वाला छोटे - से छोटा कार्य भी संसार को प्रभावित करता है l कोई व्यक्ति हो या वस्तु , उसके प्रामाणिक होने पर ही लोग उसका विश्वास करते हैं , यदि वस्तु है तो प्रमाणिकता की कसौटी पर खरा उतरने पर ही लोग उसको उपयोग में लाते हैं l उसके लिए किसी को बाध्य नहीं करना पड़ता , वह बिना संदेह स्वीकार की जाती है l इसी तरह जिनके व्यक्तित्व प्रामाणिक होते हैं , उनका आचरण लोगों के जीवन को सही दिशा देता है , जिनमें विवेक है वे उनका अनुसरण करते हैं और अपने जीवन को सँवारते हैं l
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