दुर्गा सप्तशती में कथानक है ----- माँ दुर्गा सभी दैत्यों को मार गिराती हैं , परन्तु महिषासुर ही एक ऐसा दैत्य है , जो मरता नहीं है , माता के चरणों में शरणागति को प्राप्त करता है l यहाँ महिषासुर कामवासना का प्रतीक है जो मरता नहीं है , माँ के चरणों में , माँ की शरण में जाकर भक्ति के रूप में रूपांतरित हो जाता है l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " वासना का समाधान केवल उसके रूपांतरण में ही निहित है और भक्ति वासना का दिव्य रूपांतरण है l "
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