पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है कि ---" गायत्री साधना द्वारा आत्मोन्नति होती है , यह सुनिश्चित तथ्य है लेकिन केवल चौबीस अक्षरों वाले मन्त्र को रटने से काम चलने वाला नहीं है l सुबह जागकर गायत्री मन्त्र जपा और दिन भर ढेरों खुराफातें कीं l भला ऐसे कहीं गायत्री साधना संभव हो सकेगी l गायत्री को समझने के लिए गायत्री मन्त्र के अर्थ और भाव को समझना होगा l "
आचार्य श्री ने त्रिपदा गायत्री के तीन चरणों के ये व्यावहारिक अर्थ समझाए ---- " 1 . सकारात्मक सोच 2 . सुविधा - साधनों का सही - सही सदुपयोग 3 . शारीरिक व मानसिक श्रम की सही दिशा l " यह उनका सर्वथा नया व्यावहारिक चिंतन था जिसे गायत्री साधकों को आत्मसात करना चाहिए l
आचार्य श्री ने त्रिपदा गायत्री के तीन चरणों के ये व्यावहारिक अर्थ समझाए ---- " 1 . सकारात्मक सोच 2 . सुविधा - साधनों का सही - सही सदुपयोग 3 . शारीरिक व मानसिक श्रम की सही दिशा l " यह उनका सर्वथा नया व्यावहारिक चिंतन था जिसे गायत्री साधकों को आत्मसात करना चाहिए l
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